देश के लिए हँसते हँसते अपनी जान क़ुरबान करने वाले सरदार भगत सिंह का जन्म अविभाजित पंजाब के खटकर कलां, बंगा नामक गाँव जिला लायलपुर, लाहौर में 28 सितम्बर 1907 को हुआ था। भगत सिंह का मानना था कि एक भगत सिंह के मरने के बाद लाखों भगत सिंह पैदा हो जाएंगे।
सदर भगत सिंह का पूरा परिवार क्रांतिकारी था, पिता सरदार किशन सिंह जंमींदार थे, उनकी माता विद्यावती धार्मिक विचारो की महिला थीं। भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह और मामा साथ में मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ गोरिल्ला वार छेड़ रखा था। भगत सिंह ने बचपन से ही अंग्रेजों के अत्याचार की कहानियां सुनी थी। एक दिन स्कूल जाते समय एक भारतीय को अंग्रेज द्वारा कोड़े से पीटने की वारदात देखी तो उनका मन परिवर्तित हुआ। भगत अगले दिन सुबह पिता सरदार किशन सिंह के साथ खेत पर गए उन्होंने खेतों में बीज बोते हुए देखा। भगत को वो अंग्रेज वाली बात भी याद थी। दूसरे दिन भगत सिंह घर से तलवार और पिस्तौल लेकर खेत पर पहुंचे, जिस तरह से बीज बोते हुए देखा था, उसी तरह खेत में हथियार बोन लगे। खेत पर काम करने वालों ने जब पूछा की ऐसा क्यो कर रहे हो ? भगत सिंह ने जवाब दिया-' बन्दूक बोने से खूब सारी बन्दूक हो जायेगी और तब अंग्रेजों को जल्दी से मार के देश से भगा देंगे'।
यह जवाब जब सरदार किशन सिंह ने सुनी तो वह दंग रह गए। भगत की माँ से जब यह बात बताई तो वह बहुत खुश हुईं। सरदार भगत सिंह हिन्दुस्तान की आज़ादी का वह चमकता सितारा था जिसकी रोशनी में आज का हिन्दुस्तान रोशन है। सरदार भगत सिंह ने ही ''इंक़लाब जिन्दाबाद'' का बुलंद नारा दया था।
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