आज देश के सबसे नामी पहलवान रह चुके दारा सिंह का जन्मदिन है। आज ही के दिन 1928 को पंजाब के अमृतसर के धरमूचक में दारा सिंह रंधावा का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम सूरत सिंह रंधावा और मां का नाम बलवन्त कौर था। दारा सिंह बचपन से ही पहलवानी के दीवाने थे। बचपन से ही दारा सिंह अपने छोटे भाई के साथ मिल कर आसपास के जिलों में कुश्ती समारोहों में जा कर कुश्ती देखते है। दोनों ने कई पहलवानों को धूल चटाई। 1947 में दारा सिंह अपनी पहलवानी का लोहा मनवाने सिंगापुर पहुंच गए है। दारा सिंह ने यहां मलयेशियाई चैंपियन तरलोक सिंह को पछाड़कर अपनी ख्याति फैलाई थी। यहीं से दारा सिंह के करियर का नया सफर शुरू हुआ था।
1954 में भारतीय कुश्ती चैंपियन बने। इसके बाद वह कॉमनवेल्थ चैंपियन बने। विश्व चैंपियन किन्ग कॉन्ग भी दारा के आगे नहीं टिक पाए। दारा सिंह अपनी पहलवानी से नाम कमा रहे थे तो कुछ लोगों को यह नागवार गुजर रहा था। कनाडा ने चैंपियन जॉर्ज गार्डियंका और न्यू जीलैंड के पहलवान जॉन डिसिल्वा ने 1959 में कोलकाता में दारा सिंह को खुली चुनौती दे डाली। फिर क्या था दारा ने दोनों को पटखनी दे डाली। कुश्ती के साथ-साथ दारा सिंह फिल्मों में भी काम करते रहे। 1952 में दारा सिंह की पहली फिल्म संगदिल थी। परन्तु 1962 में आई फिल्म किंग कॉन्ग ने उन्हें असल पहचान दिलाई। यह फिल्म भी कुश्ती पर ही बेस थी। दारा सिंह ने लगभग 100 फिल्मों में काम किया। 1968 में दारा सिंह ने फ्रीस्टाइल कुश्ती के अमेरिकी चैंपियन लाऊ थेज को हरा दिया। और इसी जीत के साथ वह विश्व चैंपियन बन गए। 1983 में उन्होंने कुश्ती को अलविदा कह दिया।
दारा सिंह ने लगभग 500 प्रफेशनल कुश्तियां लड़ीं और उन्होंने एक में भी हार का सामना नहीं किया। दारा सिंह को 1954 में रुस्तमे-हिंद और 1966 में रुस्तमे-पंजाब के टाइटल से नवाजा गया। 1996 में उनका नाम रेसलिंग ऑब्जर्वर न्यूजलेटर हॉल ऑफ फेम में मौजूद है। 2003 से 2009 तक दारा सिंह राज्य सभा के सांसद भी रहे। दारा सिंह की बात हो और रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण में उनके निभाए हनुमान के किरदार को भला कौन भूल सकता है। इसी की कारण वह घर-घर में लोकप्रिय हो गए थे।12 जुलाई 2012 को दारा सिंह का देहांत हो गया था।
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