सिनेमा और साहित्य की दुनिया में जावेद अख्तर एक जाना-माना नाम है। अपने अंदाज से उन्होंने सभी को अपना दीवाना बनाया है। आपको बता दें कि जावेद अख्तर मशहूर शायर जां निसार अख्तर के बेटे हैं। हालाँकि इतनी बड़ी शख्सियत के बेटे होने के बाद भी जावेद अख्तर ने बॉलीवुड में कदम जमाने के लिए कड़ी मेहनत की। जी हाँ, कहा जाता है उन्होंने बहुत संघर्ष किया तब जाकर इंडस्ट्री में उन्हें पहचान मिल पाई। एक समय था जब सलीम खान संग जावेद की जोड़ी बनी थी हालाँकि भले ही आज वो जोड़ी टूट चुकी है मगर इतिहास के पन्नों पर सलीम-जावेद का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी, 1945 को ग्वालियर में हुआ था।
आप सभी नहीं जानते होंगे जावेद अख्तर का असली नाम जादू था। जी दरअसल उनके पिता जां निसार अख्तर की नज्म 'लम्हा किसी जादू का फसाना होगा' से उनका ये नाम रखा गया था। वहीं जावेद का अधिकांश बचपन लखनऊ में गुजरा और पाकिस्तानी लेखक इब्न-ए-सफी से जावेद काफी इंस्पायर्ड रहे। ऐसे में बॉलीवुड में दिलीप कुमार की फिल्में देखना बचपन में जावेद साहब को अच्छा लगता था और यही वो समय था जब साहित्य और सिनेमा के प्रति जावेद अख्तर का झुकाव बढ़ा। हालाँकि बॉलीवुड में आना और जगह बनाना जावेद के लिए आसान नहीं रहा। उन्होंने लेखनी को साधना की तरह लिया और जीवन को एक तपस्या की तरह।
आपको बता दें कि जावेद अख्तर साल 1964 में मुंबई आ गए और उनके पास रहने के लिए घर नहीं था। उस दौरान उन्होंने पेड़ के नीचे कई रातें बिताईं और कई दिनों तक तो उन्हें ढंग से भोजन तक नहीं मिला। हालाँकि बाद में उन्हें जोगेश्वरी में कमाल अमरोही के स्टूडियो में रहने के लिए जगह मिली। बात करें सलीम-जावेद की जोड़ी के बारे में तो इनका जन्म 70 के दशक की शुरुआत में हुआ। जी हाँ और दोनों ने कुल 24 फिल्मों के लिए साथ में डायलॉग्ल लिखे। हालाँकि कुछ वैचारिक मतभेद की वजह से दोनों की ये मशहूर जोड़ी अलग हो गई।
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