इस मूवी के बाद से जाया ने फिल्म इंडस्ट्री से मोड़ लिया था मुँह

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फिल्मों में अपना बेहतरीन प्रदर्शन देने वाली और वर्तमान में एक राजनितज्ञ के रूप में पहचाने जाने वाली जया भादुरी बच्चन का जन्म 9 अप्रैल 1948 को मध्यप्रदेश जबलपुर में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता तरून कुमार भादुरी एक लेखक, पत्रकार और मंच कलाकार रह चुके हैं। इनकी माता का नाम इंदिरा भादुरी जो एक गृहणी थीं। जया जी ने अपनी पढ़ाई भोपाल के सेंट जोसेफ काॅन्वेट स्कूल में पूरी की। 1966 में जया भादु़ड़ी जी को गणतन्त्र दिवस के मौके पर एनसीसी में प्रदर्शन के दौरान कैडेट अवार्ड बेस्ट आल इंडिया से सम्मानित किया गया था।

जया भादुरी ने अपने करियर की शुरूआत सत्यजीत रे की बांग्ला फिल्म महानगर से की थी। जबकि उस समय जया जी की उम्र मात्र 15 साल की थी। और इन फिल्म के पहले भी जया जी दो फिल्मों में दिखाई दी थी। लेकिन इन फिल्मों में जया जी ने कुछ ही मिनट का किरदार निभाया था। इसके बाद इन्हे पहला बड़ा ब्रेक फिल्म 'गुड्डी' 1971 से मिला। इस फिल्म में जया भादुरी ने एक ऐसी लड़की की भूमिका निभाई जो फिल्में देखने की काफी शौकीन है और अभिनेता धमेन्द्र से प्यार करती है। अपने इस किरदार को जया भादुरी ने इतने चुलबुले तरीके से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नही पाए हैं। वर्ष 1972 में जया भादुरी को ऋषिकेष मुखर्जी की ही फिल्म 'कोशिश' में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद वह शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचीं। वह इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी नामांकित भी की गई |

1972 में प्रदर्शित फिल्म एक नजर के निर्माण के दौरान जया भादुरी का झुकाव फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की ओर हो गया। इसके बाद जया भादुरी और अमिताभ बच्चन ने 3 जून 1973 को शादी करके जया भादुरी, जाया भादुरी बच्चन बन गई। जया जी के दो बच्चे हैं जिसमें बेटे का नाम अभिषेक बच्चन जो एक बाॅलीवुड में अभिनेता हैं। और बेटी श्वेता बच्चन है। अस्सी के दशक में शादी के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों को देखते हुए जया ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म 'सिलसिला' उनके सिने करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई। इसके बाद जया भादुरी लगभग 17 वर्षों तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म हज़ार चौरासी की मां के जरिये जया भादुरी ने अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की। गोविन्द निहलानी के निर्देशन में नक्सलवाद मुद्दे पर बनी इस फिल्म में जया भादुरी ने मां की भूमिका को भावात्मक रूप से पेश कर दर्शको का दिल जीत लिया जया भादुरी बच्चन को 1992 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सेे सम्मानित किया गया।

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