भारत वके जाने माने सुप्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार को आज के समय में कौन नहीं जानता है. वह हमेशा ही अपनी कला के लिए जाने जातें है. वहीं आज यानी 19 फरवरी 2020 को अपना जन्मदिन मन रहे है तो चलिए जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातें....
जन्म: राम सुतार (अंग्रेजी: Ram Vanji Sutar, जन्म: 19 फ़रवरी 1925) भारत के एक सुप्रसिद्ध मूर्तिकार हैं. महाराष्ट्र में जन्मे इस शिल्पकार का पूरा नाम राम वनजी सुतार है. आपने कई महापुरुषों की बहुत विशाल मूर्तियाँ बनायीं और उनके माध्यम से प्रचुर मात्रा में नाम और नामा दोनों कमाया. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व काल में भारत सरकार ने आपकी कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए 1999 में पद्मश्री से अलंकृत किया. इन्हें पद्म भूषण पुरस्कार भी मिला. 2018 में टैगोर कल्चरल अवॉर्ड भी मिलेगा.
करियर: राम सुतार ने अपने गुरु रामकृष्ण जोशी से प्रेरणा लेकर बम्बई स्थित जे०जे०स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया और 1953 में इसी स्कूल से मॉडेलिंग में सर्वोच्च अंक अर्जित करते हुए मेयो गोल्ड मेडल हासिल किया. मॉडेलर के रूप में औरंगाबाद के आर्कियोलोजी विभाग में रहते हुए 1954 से 1958 तक आपने अजन्ता व एलोरा की प्राचीन गुफाओं में मूर्तियों के पुनर्स्थापन (रेस्टोरेशन) का कार्य किया. 1958-59 में आप सूचना व प्रसारण मन्त्रालय भारत सरकार के दृश्य श्रव्य विभाग में तकनीकी सहायक भी रहे. 1959 में आपने स्वेच्छा से सरकारी नौकरी त्याग दी और पेशेवर मूर्तिकार बन गये. आजकल अपने परिवार के साथ नोएडा में निवास करते हैं और इस आयु में भी पूर्णत: सक्रिय हैं.
योगदान: वैसे तो आपने बहुत सी मूर्तियाँ बनायीं किन्तु उनमें से कुछ उल्लेखनीय योगदान इस प्रकार हैं:-
1. 45 फुट ऊँची चम्बल देवी की मूर्ति गंगासागर बाँध मध्य प्रदेश भारत
2. 21 फुट ऊँची महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति अमृतसर
3. 18 फुट ऊँची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति संसद भवन नई दिल्ली
4. 17 फुट ऊँची मोहनदास कर्मचन्द गान्धी की मूर्ति गान्धीनगर गुजरात
5. 9 फुट ऊँची भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति जम्मू
6. भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की आवक्ष प्रतिमा
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