कौन था हरदीप सिंह निज्जर ? जिसकी मौत ने भारत-कनाडा में मचा दिया भूचाल

कौन था हरदीप सिंह निज्जर ? जिसकी मौत ने भारत-कनाडा में मचा दिया भूचाल
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कनाडाई सिख नेता और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद का केंद्र बिंदु बन गई है। यह लेख हरदीप सिंह निज्जर के जीवन, उनकी विवादास्पद पृष्ठभूमि और दोनों देशों के बीच हालिया राजनयिक तनाव की घटनाओं पर प्रकाश डालता है।

हरदीप सिंह निज्जर की पृष्ठभूमि:
45 वर्ष के हरदीप सिंह निज्जर मूल रूप से भारत के रहने वाले थे, लेकिन 1997 में कनाडा चले गए, जहां उन्होंने प्लंबर के रूप में अपना करियर बनाया। कनाडा के सरे में, निज्जर ने एक सिख मंदिर में अध्यक्ष का पद संभाला। वह एक प्रमुख खालिस्तान अलगाववादी नेता और प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून के साथ भी निकटता से जुड़े हुए थे।

खालिस्तान आंदोलन और निज्जर की भागीदारी:
निज्जर पर खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के नेताओं में से एक होने का आरोप लगाया गया था, जो भारत से पंजाब को अलग करने की वकालत करने वाला एक प्रतिबंधित चरमपंथी समूह है। उनकी गतिविधियों में यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में तैनात भारतीय राजनयिकों को धमकी जारी करना शामिल था। निज्जर ने टोरंटो में विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित करके बहुत कुछ किया, जिसमें भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और भारत के महावाणिज्य दूत अपूर्व श्रीवास्तव के पोस्टर शामिल थे। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य भारतीय अधिकारियों को उनकी मांगों, मुख्य रूप से पंजाब से अलग होकर एक अलग राष्ट्र के निर्माण, को स्वीकार करने के लिए मजबूर करना था।

कानूनी परेशानियाँ और शरणार्थी स्थिति:
कनाडा पहुंचने पर, निज्जर ने दावा किया कि 1980 और 1990 के दशक की शुरुआत में सिख अलगाववादियों और भारत सरकार के बीच सशस्त्र संघर्ष के दौरान उसके भाई की गिरफ्तारी के संबंध में भारतीय पुलिस द्वारा उसे शारीरिक दुर्व्यवहार और यातना का शिकार होना पड़ा था। . निज्जर को कनाडा में कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ा, जिसमें 1998 में उनके शरणार्थी दावे को अस्वीकार करना भी शामिल था। उन्होंने आवेदन प्रक्रिया के दौरान "रवि शर्मा" नाम के साथ एक फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था। इसके अलावा, विवाह के माध्यम से आव्रजन स्थिति प्राप्त करने का उनका प्रयास भी विफल कर दिया गया, क्योंकि कनाडाई आव्रजन अधिकारियों ने इसे "सुविधा का विवाह" माना।

खालिस्तान वकालत और आरोप:
निज्जर खालिस्तान पर जनमत संग्रह के मुखर समर्थक थे और उन्होंने भारत में सिख विरोधी हिंसा को "नरसंहार" के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने की मांग की थी। 2016 में, इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया, जिसमें उसे पंजाब में 2007 के सिनेमा बम विस्फोट में "प्रमुख साजिशकर्ता" के रूप में पहचाना गया। उन पर चरमपंथी गतिविधियों के लिए भर्ती करने और धन जुटाने में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, इन आरोपों का उन्होंने दृढ़ता से खंडन किया।

आतंकवादी के रूप में पदनाम:
2020 में, भारत सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत 'आतंकवादी' के रूप में नामित किया। इसके बाद भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनकी संपत्ति जब्त कर ली। ये कार्रवाई आतंक संबंधी गतिविधियों में उसकी कथित संलिप्तता को रोकने के भारत के प्रयासों के तहत की गई थी।

प्रमुख खालिस्तान समर्थक और कनाडाई सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है। निज्जर की विवादास्पद पृष्ठभूमि, खालिस्तान अलगाववादियों के साथ संबंध और चरमपंथी गतिविधियों में उनकी कथित संलिप्तता ने सवाल उठाए हैं और राजनयिक नतीजों को जन्म दिया है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय जांच का विषय बना हुआ है, क्योंकि दोनों देश इस दुखद घटना के परिणामों से जूझ रहे हैं।

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