किसी भी वनडे टीम में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले बल्लेबाज का खास महत्व होता है. टीम की मामूली लड़खड़ाहट के बाद उसके ऊपर पारी को संभालने की जिम्मेदारी होती है. कई बार पारी को रफ्तार देने की जिम्मेदारी होती है. इस पोजिशन पर सुरेश रैना, युवराज सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ी खेलते रहे हैं. पर पिछले दिनों इस स्थान पर कई खिलाड़ियों को आजमाया गया. अब लगता है कि हार्दिक पांड्या पर यह खोज रुक सकती है.
पांड्या उतरे उम्मीदों पर खरे- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंदौर में खेले गए तीसरे वनडे मैच में रोहित शर्मा और रहाणे के बीच 139 रन की ओपनिंग साझेदारी बनी. लेकिन इसके बाद 203 रन तक स्कोर पहुंचते रहाणे और विराट के आउट हो जाने पर हार्दिक पांड्या के खेलने को उतरने पर लक्ष्मण जैसे कुछ विशेषज्ञ इस फैसले से खुश नहीं थे. तीन रन बाद ही केदार जाधव के आउट हो जाने पर अब टीम को संभालने की जिम्मेदारी पांड्या पर आ गई. पांड्या ने इस स्थिति में 78 रन की पारी खेलकर भारत को 293 रन के स्कोर तक पहुंचा दिया.
हार्दिक का दिखा दूसरा पक्ष- हार्दिक पांड्या के बारे में अब तक माना जाता रहा है कि वह विकेट पर आते ही ताबड़तोड़ अंदाज में रन बनाते हैं. साथ ही चल गए तो गेंदबाज की शामत वरना पेवेलियन वापसी. लेकिन इस पारी के दौरान उन्होंने हालात के हिसाब से बल्लेबाजी की. वह कमिंस और रिचर्डसन जैसे गेंदबाजों पर एक-एक रन लेकर स्ट्राइक बदलते रहे. वहीं स्पिन गेंदबाजों की ढ़ीली गेंदों पर चौके और छक्के लगाकर रन गति बढ़ाते रहे. असल में हार्दिक पांड्या के इस तरह से खेलने ने सभी को दंग कर दिया है. उन्होंने अपनी इस पारी से यह साबित कर दिया है कि वह मौका मिलने पर इस जिम्मेदारी को उठाने का माद्दा रखते हैं.
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