पुरानी कहावत है प्रेम, युद्ध और चुनाव में सब जायज है. यही सोचकर करीब एक माह पहले पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की कथित सीडी को सार्वजनिक किया गया था. गुजरात में विधानसभा चुनावों से पहले सामने आई इस सीडी ने प्रदेश की राजनीति में जबरदस्त हलचल मचा दी थी. इस सीडी को उजागर करने का उद्देश्य हार्दिक पटेल के बढ़ते प्रभाव को कम करना था. हालांकि बीजेपी ने अपनी ओर से ऐसी किसी सीडी को जारी करने से इंकार किया था.
वहीँ दूसरी ओर हार्दिक पटेल ने इसे भाजपा द्वारा आंदोलन को दबाने की साजिश बताया था, उन्होंने बेफिक्रे अंदाज में कहा था कि उन पर इन चीजों का कोई फर्क नहीं पड़ता. हालांकि हार्दिक पटेल ने भाजपा के द्वारा उनकी फर्जी सीडी सामने लाई जाने की आशंका जाहिर की थी. इसके दो दिन बाद भी दो कथित सीडी और सामने आई थीं, जिसमें हार्दिक एक कमरे में किसी महिला के साथ हैं. इसे हार्दिक ने इस सीडी को नकली बताते हुए कहा था कि इस वीडियो क्लिप्स से पाटीदार आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
यह बड़े अचरज की बात है कि सीडी सार्वजनिक होने के बाद हार्दिक विरोधियों को लगा था, कि अब हार्दिक की साख गिर जाएगी जिसका फायदा चुनाव में मिलेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसका खुलासा तब हुआ जब राजकोट के नाना मोवा सर्किल इलाके में हार्दिक पटेल की सभा में युवा सहित बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ ने रैली में हार्दिक का ढाई घंटे तक इन्तजार किया. आखिर रात 9 बजे हार्दिक सभा स्थल पहुंचे. इस भीड़ ने यह बात साबित कर दी कि हार्दिक की सीडी के सामने आने के बाद राजकोट की रैली में पहुंचे युवाओं से हुई बातचीत से लगा कि इससे उसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है.
हार्दिक की रैलियों में अभी भी वैसी ही भीड़ जुट रही है जैसे सीडी कांड के पहले होती थी. खुद चुनाव नहीं लड़कर हार्दिक ने नया दांव खेला है, इसका युवाओं पर क्या असर होगा फ़िलहाल यह एक बड़ी पहेली बना हुआ है. अब देखना यह है कि आखिर यह चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है.
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