नई दिल्ली: नई संसद के उद्घाटन प्रोग्राम का विपक्ष ने जमकर विरोध किया है। आज जब इसे देश को समर्पित किया गया तो कई दलों के सांसद एवं प्रतिनिध नदारद नजर आए। बिहार के सीएम नीतीश कुमार एवं उनकी पार्टी जदयू ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने हाल ही में पूछा था कि आखिर नए संसद भवन की जरुरत क्यों पड़ी। हालांकि, आज उनके ही दल के सांसद एवं राज्यसभा में सभापति हरिवंश नारायण सिंह ने अपने संबोधन के चलते बताया कि आखिर इस नए भवन की जरुरत क्यों पड़ी।
हरिवंश नारायण सिंह ने कहा, ''आने वाले सालों में परिसीमन के कारण सदस्यों के आंकड़े में वृद्धि की संभावना एवं संसद की बढ़ती हुई ज़िम्मेदारियों को देखते हुए वर्तमान संसद भवन में स्थान का अभाव महसूस किया जा रहा था। संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने पीएम से एक नए भवन के निर्माण का आग्रह किया था।'' हमारा वर्तमान संसद भवन देश की लोकतांत्रिक गतिविधियों का जीवंत केंद्र रहा है। हमारी प्रगति का मार्गदर्शक रहा है। यह भवन भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तथा संविधान निर्माण से लेकर हमारी गौरवशाली लोकतांत्रिक यात्रा के दौरान अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है।
नीतीश कुमार ने कहा कि संसद का नया भवन बनाने की जरुरत नहीं थी। स्वतंत्रता के समय जो भवन था, उसी को और विकसित करना चाहिए था। अलग से नया बनाने का कोई मतलब नहीं है। देश के पुराने इतिहास को बदला जा रहा है। वही इस दौरान पीएम मोदी ने कहा- संसद भवन ने लगभग 60,000 श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया है। इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलेरी भी बनाई गई है। आज जब हम लोकसभा एवं राज्यसभा को देखकर उत्सव मना रहे हैं तो मुझे संतोष है कि हमने देश में 30,000 से अधिक नए पंचायत भवन भी बनाए हैं। पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है।
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