श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर आज यानी रविवार को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाएगा। जी हाँ और आज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य के निर्जला व्रत रखती है। आप सभी को बता दें कि सावन में पड़ने के कारण इस तीज को हरियाली तीज कहते हैं। जी दरअसल सुहागिनों के लिए तो सावन विशेष है और इस दौरान पड़ने वाले व्रत और त्योहार भी विशेष है। इसी लिस्ट में से एक है हरियाली तीज। सुहागिन महिलाए निर्जला व्रत रखकर इस परंपरा का निर्वहन करती हैं तो वहीं नवविवाहिताओं के लिए यह त्योहार खास होता है।
सिंधारा के श्रृंगार से सजेंगी महिलाएं : जी दरअसल नवविवाहिताओं को उनके मायके से सिंधारा मिलता हैं। इसी के साथ हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंधारा मनाया जाता है। वहीं इस सिंधारा में साड़ी व श्रृंगार की चीजें होती हैं। इसी सिंधारा की पूजा कर अगले दिन हरियाली तहज पर इसी श्रृंगार की सामग्री से व्रती सोलह श्रृंगार करती हैं। आपको बता दें कि सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए शिव पार्वती की आराधना करती हैं। जी हाँ और इस दिन हाथों में मेहंदी रचाना शुभ माना गया है। इसी के साथ हरी चूड़ियां और हरे परिधान व सोलह श्रृंगार करके संध्या में मिट्टी से बने शिव पार्वती की पूजा की जाती है। कहा जाता है माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चुनरी, सिंदूर, चूड़ी बिंदी आदि भेंट की जाती है जबकि महादेव को पंचामृत का भोग लगाकर अखंड सौभाग्य व सुखी दांपत्य जीवन की कामना की जाती है।
हरियाली तीज की कथा : पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती की वर्षो की साधना के बाद इस दिन भगवान शिव से मिली थी। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, हालाँकि उन्हें महादेव नहीं मिले। जब 108वीं बार जन्म लिया तो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि पर ही भगवान शिव मां पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए।
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