'हरतालिका तीज' नाम कैसे पड़ा? जानिए पूरी कहानी

'हरतालिका तीज' नाम कैसे पड़ा? जानिए पूरी कहानी
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पूरे देश में हरतालिका तीज का त्यौहार बड़े धूम -धाम से मनाया जाता हैं। इस दिन सुहागिन अपने पति के लंबी आयु के लिए व्रत रखती है साथ ही सुख - समृद्धि की कामना भी करती है। इस दिन सभी सु​हागिन पूरे 16 श्रृंगार कर मां गौरी और ​शिव जी की आरधना करती हैं। इतना ही नहीं अविवाहित कन्या भी यह व्रत रखती है और वह अच्छे पति की कामना करती हैं। इस दिन जो व्रत रखा जाता है उसे निर्जला व्रत कहते है। यह बहुत कठिन व्रत माना जाता हैं लेकिन क्या आप जानते है हरतालिका तीज नाम क्यो पड़ा? अगर नहीं जानते तो हम आपको बताते है।

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हरतालिका दो शब्दों से मिलक बना है हर और तालिका। हर का मतलब होता है हरण करना और तालिका का मतलब होता है अर्थात सखी। यह त्योहार भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है इसलिए इसे तीज कहते है। वहीं हरतालिका इसलिए कहते है क्योंकि मां गौरी को उनकी सखी अपने घर से हरण कर जंगल में ले गईं थीं। 

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मां गौरी ने भी शिव जी को पाने के लिए बहुत कठोर तप किए थे। ​शिव जी के लिए उन्होंने 107 बार जन्म लिया था इसके बाद में 108 वें जन्म में ​शिव जी ने मां गौरी को अपनी अर्धांगनी माना था। अंतत: मां गौरी की आराधना सफल हुई थी। इस वजह से यह त्योहार हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है।  

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