हिंदू धर्म में हरतालिका तीज के व्रत का बहुत महत्व है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी आयु हेतु निर्जला व्रत रखती है. वहीं कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को सुयोग्य वर पाने के लिए रखती है. सभी महिलाएं और कन्याएं इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करती है. साथ ही इस दौरान श्री गणेश का भी आह्वान किया जाता है. व्रत रखने वाली महिलाओं और कन्याओं को व्रत के नियम के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. जिससे कि उनका व्रत न टूटे. जानिए हरतालिका तीज के व्रत के नियम के बारे में...
हरतालिका तीज व्रत के नियम...
- इस बात से हर कोई परिचित है कि सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं यह व्रत रखती है. व्रत रखना ठीक है लेकिन निरंतरता बनाए रखना कठिन है. एक बार व्रत रखने के बाद उम्रभर आपको यह व्रत रखना होता है.
- यदि कोई महिला या लड़की ऐसी स्थिति में है, जहां वे व्रत नहीं रख सकती है तो इसके लिए उनके स्थान पर घर की अन्य महिला या फिर महिला के पति द्वारा इस व्रत को रखा जा सकता है.
- व्रत वाले दिन महिलाएं अपने क्रोध पर नियन्त्र रखें. बता दें कि इसी कारण से मेहंदी लगाना उचित माना जाता है.
- पति-पत्नी इस दिन शांति और प्यार के साथ रहें. दोनों का यह प्रयास होना चाहिए कि व्रत का पूर्ण फल मिलें.
- हरतालिका तीज का व्रत निर्जला व्रत होता है. अर्थात इस दिन महिलाएं जल नहीं पी सकती है. वहीं दूध और शक़्कर का सेवन भी वर्जित है. साथ ही महिला अगर इस दौरान कुछ खा लेती है तो उन्हें व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है.
- व्रत रखने से पूर्व स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है, वहीं हरतालिका तीज का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करने के बाद खोला जाता है.
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