हरियाणा और पंजाब के सीएम के मध्य इस मामले पर कई बार मीटिंग हुई है, किन्तु इस बार सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यह बैठक हो रही है. यह बात अलग है कि सीएम मनोहर लाल जल संसाधन मंत्रालय के भवन में मौजूद रहने वाले है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस मीटिंग में सम्मिलित होंगे.
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परिणाम क्या निकलेगा इस बात पर विपक्ष का भी नजर है. पंजाब में इस वक्त कांग्रेस गवर्नमेंट है और सीएम अमरिंदर सिंह एसवाईएल का जल हरियाणा के हाथ में देने के धुर विरोधी रहे हैं. लेकिन पंजाब में बादलों की भी गवर्नमेंट रही है, लेकिन उस दौर में भी हरियाणा को अपने हक का पानी नहीं मिल पाया. हरियाणा में पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में चंडीगढ़ के एक होटल में पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मीटिंग हुई थी. उस मीटिंग में हरियाणा के कृषि मंत्री ने शानदार तरीक से अपनी बात रखी थी, किन्तु केस सिरे नहीं चढ़ा.
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दो सूबों के मध्य ये मामले एक राजनीतिक केस बन चुका है. परिणाम ढाक के तीन पात ही रहा है. पंजाब हमेशा एसवाईएल के पावनी का विरोध करता रहा है, आज भी करेगा. इस नहर को लेकर दोनों विधान सभाओं में वॉकआउट होता रहा है. हरियाणा की विधानसभा का मानसून सत्र करीब है. राजनीति एक बार फिर गर्म होगी. गठबंधन वाली गवर्नमेंट में दुष्यंत चौटाला भी इस मामले को ले कर ठीक वक्त पर कूद गए हैं.
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