चंडीगढ़ः हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य में सियासी दल अपने चुनाव अभियान को धार देने में लग गए हैं। राज्य में पहली बार सत्ता में आई बीजेपी भी अपने अभियान को गति देने पर लगी हुई है। सीएम खट्टर राज्य भर में यात्रा पर हैं। इस बीच बीजेपी एक उलझन में फंस गई है। प्रदेश के दो वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है। राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटी और बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं।
इसी दौरान इंद्रजीत के लगातार शक्ति प्रदर्शन से सतर्क पार्टी नेतृत्व ने इस मामले में फैसला फिलहाल टाल दिया है। दोनों केंद्रीय मंत्रियों का तर्क है कि अगर चौधरी बीरेंद्र के परिवार से तीन-तीन लोग संसद और विधानसभा में जा सकते हैं तो उनके परिवार का दूसरा सदस्य टिकट क्यों नहीं पा सकता? दो दिन पूर्व पार्टी मुख्यालय में चुनाव को ले कर हुई बैठक में इस मुद्दे पर बेहद तीखी बहस हुई।
आलाकमान का तर्क था कि चूंकि चौधरी बीरेंद्र की पत्नी विधायक हैं इसलिए टिकट केमामले में उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। इस पर गुर्जर का कहना था कि उनका पुत्र देवेंद्र चौधरी भी चुना हुआ पार्षद और डिप्टी मेयर है। वहीं इंद्रजीत का कहना था कि वह भी अपनी बेटी के टिकट के लिए चौधरी बीरेंद्र सिंह की तरह केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।
इंद्रजीत सिंह पनी बेटी आरती राव को रेवाड़ी से टिकट दिलाना चाहते हैं। उनकी योजना अगले लोकसभा चुनाव में अपनी जगह अपनी बेटी को गुडग़ांव से लोकसभा चुनाव लड़ा कर अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने की है। अपने विरोधी जगदीश यादव, राव अभय सिंह, विक्रम ठेकेदार को टिकट दिए जाने की संभावना के बीच राव इंद्रजीत रैलियों केमाध्यम से लगातार शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि 69 वर्षीय राव के पास अपने पुत्री को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का यह आखिरी मौका है। इसलिए वह किसी भी सूरत में अपनी बेटी को टिकट दिलाने पर अड़े हैं। पार्टी की कोर कमेटी के बैठक में 65 सीटों पर चर्चा हो गई है।
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