रविवार को ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बताया कि उनका देश कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के साथ-साथ अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण सबसे कठिन वर्ष का अनुभव कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान परमाणु समझौते को 2018 में वापस लेने और फिर से पाबंदियां लागू करने के बाद कोरोना वायरस संकट ने आर्थिक समस्याओं को बढ़ा दिया है. वापस लेने और प्रतिबंधों को वापस लेने के बाद खराब हो गया है. सोमवार को, ईरान की रियाल मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने निम्नतम स्तर पर गिर गई.
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रूहानी ने अपने संबोधन में बताया कि आर्थिक दबाव और महामारी के कारण यह सबसे कठिन वर्ष है. 2018 में शुरू हुआ आर्थिक दबाव बढ़ गया है और आज यह हमारे देश पर सबसे मुश्किल दबाव है. महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लागू प्रतिबंधों में ढील देने के बाद ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण और मौतों में तेज वृद्धि देखी गई है. देश में मरने वालों की संख्या हाल ही में दो महीनों में पहली बार 100 से अधिक हो गई. अब तक यहां 2,20,000 से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है और 10,000 से अधिक मौतें हुई हैं.
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अपने बयान रूहानी ने बताया कि अगले रविवार से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में दो सप्ताह के लिए मास्क पहनना अनिवार्य हो जाएगा. वरिष्ठ अधिकारियों ने नियमित रूप से चेतावनी दी है कि अगर शारीरिक दूरी जैसे स्वास्थ्य संबंधी नियमों का संक्रमण में वृद्धि को रोकने के लिए का पालन नहीं किया जाता है, तो प्रतिबंधों को फिर से लागू किया जाएगा. ईरान ने फेस मास्क का उपयोग करने के लिए अनिच्छुक जनता को प्रेरित करने के लिए शनिवार को एक अभियान शुरू किया. बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के अब तक एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं. वहीं लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो गई है.
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