आखिर क्यों श्रापित हैं कुलधरा? जानिए इसका राज

आखिर क्यों श्रापित हैं कुलधरा? जानिए इसका राज
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भारत की जमीन में आज कई राज दबे हुए है, और ये राज आज भी उतने कि अनसुलझे है जितने पहले हुआ करते थे. हैरानी वाली बात तो ये है कि ये रहस्य ऐसे है जिन्हे जितना भी सुलझाने की कोशिश की जाए लेकिन ये उतने ही उलझ जाते है, ऐसा ही एक राज राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 35 किलोमीटर दूर बसे कुलधरा में भी दफन है, जो कि एक नहीं दो नहीं तीन भी नहीं बल्कि 200 सालों से वीरान पड़ा हुआ है, लेकिन ऐसा क्यों इस बारें में आज मैं आपको विस्तार से जानकारी देने वाला हूँ, तो चलिए जानते है कुलधरा के छुपे हुए रहस्य के बारें में....

यदि आप इस गांव के बारें में जानना चाहते है तो आपको राजस्थान आकर जैसलमेर से कैब बुक करके यहाँ तक आना होगा, यदि आपके पास खुद का कोई भी साधन है तो ये आपके लिए और भी ज्यादा अच्छी बात है, ऐसा कहा जाता है कई वर्षों पहले पालीवाल ब्राह्मण समाज के लोग जैसलमेर में बसे थे और उन्होंने ही स्वरस्वती नदी के किनारे इस कुलधरा नमक गांव की स्थापना की थी, इतना ही नहीं इस जगह पर सबसे पहले एक ब्राह्मण परिवार ने ही अपना घर बनाया था, और उसी ने अपने घर के साथ एक तालाब की भी खुदाई की थी जिसका नाम उधानसर था. लगभग  200 वर्ष पूर्व जब कुलधरा खंडहर नहीं हुआ करता तब इसी गावं के आस पास के 84 गांव पालीवाल ब्राह्मण परिवार आबाद  हुआ करते थे.

लेकिन होनी को टाल सकता है भला, फिर एक दिन ऐसा आया कि इस हँसते खेलते गांव को किसी की नजर लग गई. इस गांव को जिस इंसान की नजर लगी थी वो कोई और नहीं बल्कि जैसलमेर का सलीम सिंह था. ये नाम के लिए तो वहां का प्रधानमंत्री हुआ करता था, लेकिन सलीम सिंह गरीबों से छोटी छोटी चीजों का भी टैक्स वसूलता था. उन्हें परेशान करता था. लेकिन लोगों को ये बात अच्छी तरह से पता था कि सलीम सिंह एक नंबर का अय्याश और ठरकी इंसान था, उसकी नियत गांव की सुंदर महिलाओं पर बेटियों पर ही होती थी, इतना ही नहीं सलीम सिंह की नियत कुलधरा के मुखिया की बेटी पर भी थी. 

अब इस बात में कोई शक नहीं है कि यदि नियत थी तो अच्छी ही होगी...बिलकुल भी नहीं जिनके मंसूबे अच्छे नहीं होते उनकी नियत में खोट साफ़ दिखाई देता है, वो मुखिया की लड़की के लिए इस तरह दीवाना हो गया था कि उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता था, फिर क्या है उस लड़की के लिए उसने धीरे धीरे वहां के ब्राह्मण परिवार पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया, हद तो तब हो गई जब सत्ता के नशे में चूर उसने लड़की के घर सन्देश भेज दिया और कहा कि अलगी पूर्णमासी तक लड़की उसे नहीं मिली तो वो खुद उसे उठाकर ले जाएगा, इतना ही नहीं उसने ये भी धमकी दी कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वह पूरे गांव में कत्लेआम मचा देगा.

दीवान और गांव वालों की लड़ाई अब एक कुवारी लड़की और गांव के मान सम्मान की लड़ाई बन गई थी. इसके तुरंत बाद ही गांव की चौपाल पर पालीवाल ब्राह्मणों की बैठक हुई और लगभग 5000 से अधिक परिवारों ने अपने सम्मान के लिए रियासत छोड़ने का निर्णय कर लिया, ऐसा भी बोला जाता है कि ये निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांव वाले एक मंदिर पर इक्कठा हो गए. इसके बाद पंचायतों ने फैसला किया कि हम अपने घर की लड़की उसे अय्याश को नहीं देंगे. सारे गांव वाले राते के सन्नाटे में अपना सारा सामान, अनाज, मवेशी लेकर अपने घरों को छोड़कर यहाँ से हमेशा के लिए चले गए, और पाली नाम एक गांव में जाकर बस गए, जिसके बाद उनमे से कोई भी वापस नहीं आया और देखते ही देखते कुलधरा और भी वीरान होता चला गया. 

ऐसा कहा जाता है कि पालीवाल परिवार जब कुलधरा गांव से जा रहा था तब उन्होंने इस जगह को श्राप दिया था कि इस गांव में कभी भी कोई भी परिवार या इंसान इसे दोबारा नहीं बसा पाएगा. तब से इस जगह पर एक परिंदे ने भी पर नहीं मारा और बदलते वक़्त से साथ कुछ परिवर्तन हुआ है, उस जगह ले लगभग 82 गांव तो बस गए लेकिन 2 गांव कुलधरा और खाबा आज भी आबाद नहीं हो पाए है, हलाकि अब खबरें है कि इन दोनों ही गांव को टूरिस्ट स्पॉट बना दिया गया, और शाम के पहले इन्हे बंद भी कर दिया जाता है. 

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