रेल का सफर तो आपने भी खूब किया होगा। और शायद आप करते भी होंगे। लेकिन क्या आपने हवाई रेल का सफर कभी किया है हमारे कहने का मतलब यह नहीं है कि रेल हवा में उड़ रही हैं बल्कि हमारे यहां पर कहने का मतलब तो यह है कि यहां पर रेल की पटरियां हवा में बिछी हुई हैं। और यह कुछ खास इलाकों में ही ऐसा हैं जब इन इलाकों से ट्रेन गुजरती हैं और उस समय ऐसा लगता है कि हम हवाई सफर कर रहे हों।
आपको बतां दे कि यह उस समय की बात होती है जब ट्रेन उन खास इलाकों से निकलती है और रास्तेभर मे दोनों तरफ बादल की छाया हो तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों ट्रेन बादलों को चीरती हुई हवा में उड़ान भर रही है। इसकी रेल रूट की शुरूआत अर्जेंटीना की सिटी आॅफ साल्टा से होती है। इसकी रेल रूट की ऊंचाई 1,187 मीटर है। और यह वैली डी लेर्मा से गुजरते हुए क्वेब्रेडा डेल टोरो से ला पोल्वोरिला वियाडक्ट पर खत्म होता है।
इस रेलमार्ग का निर्माण 1920 में हुआ था। इस प्रोजेक्ट के हेड अमेरिकी इंजीनियर रिचर्ड फोन्टेन मरे थे। ट्रेन का पूरा सफर 16 घंटे का होता है इन 16 घंटो में यह 217 किमी की यात्रा करती है, और इसी दौरान यह ट्रेन 3000 मीटर की चढ़ाई भी चढ़ती है। खास बात यह है कि इस पूरे मार्ग से ट्रेन 29 पुल और 21 टनल को क्राॅस करती है।