मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मुस्लिम पुरुष एक से अधिक निकाह का पंजीकरण करा सकते हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी मुस्लिम पुरुष को इस प्रक्रिया से रोका जाता है, तो यह मुस्लिम व्यक्तिगत कानून का उल्लंघन होगा। यह आदेश जस्टिस बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेशन की पीठ ने दिया।
इस मामले की याचिका मेजौर जौआउइया नामक एक महिला ने दायर की थी, जो अल्जीरिया की निवासी हैं और ठाणे के एक मुस्लिम पुरुष से निकाह कर चुकी हैं। यह उस व्यक्ति का तीसरा निकाह है, लेकिन ठाणे नगर निगम ने एक ही शादी का पंजीकरण करने की अनुमति का हवाला देते हुए इस निकाह को पंजीकृत करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया कि वह 10 दिनों के भीतर इस निकाह का पंजीकरण करे, अन्यथा यह मुस्लिमों के व्यक्तिगत कानून का उल्लंघन माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी पाया कि इसी व्यक्ति का एक अन्य निकाह मोरक्को की महिला के साथ पहले से पंजीकृत किया गया था। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय न्यायपालिका मुस्लिम व्यक्तिगत कानून के तहत विवाहों की मान्यता को बरकरार रखती है।
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