आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है दिन में नींद लेने की आदत का स्वस्थ में पड़ने वाले असर के बार में , जी हाँ नींद को लेकर वैज्ञानिकों ने कई शोध किए हैं लेकिन क्या अपने कभी झपकी से संबंधित शोध के बारे में जानने की कोशिश की है। एक शोध में शोधकर्ताओं ने दिन की झपकी का कार्डियोवेस्क्युलर बीमारी से संबंध स्थापित किया है। हालांकि, इससे पहले भी ऐसे शोध हो चुके हैं लेकिन परिणाम नकारात्मक निकले हैं। इस विषय पर सही जानकारी प्राप्त करने के लिए स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ लॉसेन के शोधकर्ताओं ने 2003 में नई स्टडी शुरू की। जिसका उद्देश्य दिल की सेहत और दोपहर की झपकी के बीच संबंध स्थापित करना था। इस अध्ययन में 3462 लोगों को शामिल हुए जिन्हे दिल की कोई बीमारी नहीं थी। इन लोगों से कहा गया कि ये दिन मे सोएं और इस बात के नोट बनाते रहें कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है। इन प्रतिभागियों के ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारी से जुड़े अन्य कारकों की जांच होती रही और डाटा बनता रहा।
ध्यान देने वाली बात ये है कि अध्ययन के दौरान दिल से जुड़ी बीमारियों के 155 मामले सामने आए, इनमें कुछ सामान्य और कुछ खतरनाक थे। अध्ययन के अंत में वैज्ञानिकों ने कार्डियोवेस्क्युलर रिस्क कारकों की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें दिन में ज्यादा सोने और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नेआ या ओएसए के बारे में बताया गया। ओएसए वह स्थिति है जब मरीज सोते समय ठीक से सांस नहीं ले पाते हैं और इस कारण उनकी नींद बार-बार टूटती है। दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से मरीज को रात में कई बार जागना पड़ता है। इस अध्ययन के बाद शोधकर्ता निष्कर्ष पर पहुंचे कि जो लोग हफ्ते में दो या तीन बार दिन में झपकी लेते हैं, उनमें सीवीडी यानी कार्डियोवेस्क्युलर संबंंधी बीमारियां कम होती हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि दिन में झपकी लेने से तनाव और थकान कम होती है। हालांकि शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा कि दिन की झपकी के बाद जब कोई व्यक्ति उठता है तो उसका रक्तचाप और हृदय गति बढ़ जाती है। जिससे कम समय के लिए कार्डियोवेस्क्युलर बीमारी का खतरा बढ़ता है। वहीं कभी-कभार की दोपहर में सोने से तनाव कम होता है।
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