स्टेनलेस स्टील के बर्तन बीमारी को न्योता दे सकते हैं। इसमें खाना पकाने या बनाने में सेहत को कोई नुकसान नहीं होता। इन बर्तनों का तापमान बहुत जल्दी बढ़ता है। इसलिए इसमें खाना पकाते समय ध्यान देना बहुत जरुरी होता है। स्टेनलेस स्टील के खाना बनाने वाले बर्तनों पर ऑलिव, कॉर्न या कैनोला तेल (इनका तेल पतला होता है) की कोटिंग से इनकी दरारें भर जाती है, साथ ही यह बैक्टीरिया की वृद्धि दर को भी रोकता है। एक नए शोध से यह जानकारी दी गई है। स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को बार-बार उपयोग करने और मांजने से उनकी सतह पर बहुत ही सूक्ष्म दरारें आ जाती है, जिसमें बैक्टीरिया घर बना लेती है। ये बैक्टीरिया और बॉयोफिल्म्स के छुपने की आदर्श जगह होती है।
ध्यान देने वाली बात ये है की हालांकि इन बर्तनों की सतह के दरारों और खरोंचों को ऐसी आंखों से देखना मुश्किल होता है, लेकिन उनमें लाखों बैक्टीरिया भरे हो सकते हैं, जिनका आकार महज कुछ माइक्रोमीटर का होता है। इन दरारों में फंसे भोजन और सालमोनेला, लिस्टिरिया और ई.कोली सूक्ष्म जीवाणुओं से कई तरह के इंफेक्शन का खतरा होता है। लेकिन इन बर्तनों पर खाद्य तेल की पतली परत की कोटिंग करने से इन खतरों से प्रभावी ढंग से बचाव होता है।
इसके साथ ही स्टेनलेस स्टील की सतह पर रोजाना खाद्य तेल की कोटिंग करने से बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद मिलती है। हर रोज खाना पकाने के तेल के साथ एक स्टेनलेस स्टील की सतह पर कोटिंग करना बैक्टीरिया हटाने का काम करता है। क्रैक्स में तेल भरने से एक हाइड्रोफाबिक परत बनती है जो सतह पर दूषित पदार्थों के लिए बाधा के रूप में काम करता है।'' कुकिंग ऑयल जैसे ऑलिव, कॉर्न या कैनोला आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले हार्ड केमिकल और कीटाणुनाशकों की तुलना में खाद्य प्रसंस्करण उपकरणों की सफाई के लिए एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करते हैं।
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