बिज़ी लाइफ में आप अक्सर ही कुछ बाहर के खाने में लग जाते हैं यानि आपको बनाना ना पड़े इसके लिए आप बाहर कहीं भी खा लेते हैं. ऐसे ही आपने अगर ढाबे पर खाया हो तो आपको बता दें कि वहां की सादी दाल और बिना घी वाली रोटियां भी हमारे मन औऱ पेट को खुश कर देती हैं. वहां का स्टाइल आपको कई बार आकर्षित कर जाता है.
कोयले और तंदूर में खाना पकाने की तरह ही बहुत-से ढाबों मे चटनी पीसने के लिए इस्तेमाल किया जाता है सिल-बट्टा जिसकी वजह से ढाबे के खाने का स्वाद बढ़ता है. आपको ये नहीं पता होगा कि स्वाद के साथ आपको सेहत के लाभ भी देती हैं पारम्परिक तरीकों से पिसे मसाले या चटनी बहुत लाभकारी हैं. आज हम इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.
फूड प्रोसेसर या मिक्सी के इस्तेमाल में पिसी जाने वाली चटनी या मसालों का टेक्सचर काफी महीन और क्रीमी हो जाता है. जबकि सिल-बट्टे पर चटनी पीसते समय हम अपनी मर्ज़ी के हिसाब ले उसका टेक्स्चर रख सकते हैं. अलग टेक्स्चर की वजह से चटनी का स्वाद भी काफी अलग महसूस होता है.
अक्सर इलेक्ट्रॉनिक मशीनों की मदद से मसाले पीसने से मसालों के स्वाद बदल जाते हैं. दरअसल इन मशीनों को चलाने से जार में गर्मी पैदा हो जाती है जो मसालों के स्वाद को प्रभावित करती हैवहीं पारम्परिक तरीकों में मसाले नैचुरल हवा के सम्पर्क में रहते हैं और इसीलिए उनका स्वाद बरकरार रहता है. इसके आपको पूरे फायदे मिलते हैं. जब आप सिल बट्टे पर मसाला पीसते हैं तो मसालों की खुश्बू धीरे-धीरे फैलती है. यह खुश्बू आपकी नाक के ज़रिए आपके दिमाग तक पहुंचती है और आपके दिमाग को इन मसालों के स्वाद के प्रति आकर्षित करती है.
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