बिमारियों से बचाने में मदद करती Salt Therapy, जानें क्या है

बिमारियों से बचाने में मदद करती Salt Therapy, जानें क्या है
Share:

आज के समय बढ़ते प्रदूषण, खराब खानपान और अनियमित जीवनशैली, अस्थमा रोग को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. वर्तमान समय में छोटे छोटे बच्चे भी इस गंभीर रोग की चपेट में आ रहे हैं. इसके लिए आपको कुछ टिप्स पता होनी चाहिए जिससे आपके स्वास्थ्य पर कोई असर ना पड़े. वैसे तो एलोपैथी में अस्थमा का इलाज है लेकिन फिर भी डॉक्टर यही कहते हैं कि जब तक लाइफस्टाइल सही नहीं होगा, इस रोग से पूरी तरह छुटकारा नहीं पाया जा सकता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं सॉल्ट थैरेपी के बारे में.

बता दें कि यह एक ऐसी थैरेपी है जिसमें बिना किसी साइड इफेक्ट के अस्थमा का इलाज किया जाता है. ये थैरेपी पूरी तरह से नेचुरल और सुरक्षित है. हालांकि सिर्फ अस्थमा ही नहीं बल्कि जिन लोगों को सांस से संबंधित कोई अन्य रोग हो, नींद की समस्या हो या साइनस आदि हो उनके लिए भी ये थैरेपी कामयाब है.

क्या है सॉल्ट थैरेपी
सॉल्ट थैरेपी में एक कमरे को आठ से दस टन नमक से तैयार कर एक गुफा का रूप दिया जाता है. एक्सपर्ट इस कमरे के तापमान और जलवायु को नियंत्रित कर मरीजों को आधे घंटे से लेकर एक घंटे तक इस रूम में रखते हैं. इस कमरे में एक साथ 6 लोगों का इलाज हो सकता है. इस रूम के बाहर लगे हेलो जेनरेटर के जरिये रूम में फार्माग्रेट सोडियम क्लोराइड युक्त हवा दी जाती है. इस दौरान मरीज की सांस से नमक के कण सांस की नली से होते हुए फेफड़े तक पहुंचते हैं. आपको बता दें कि यह थैरेपी तक सामने आई थी जब 1843 में पॉलिश हेल्थ अधिकारियों ने देखा कि जो मजदूर पॉलैंड में नमक की खदानों में काम करते हैं वह सांस से जुड़ी किसी भी बीमारी के शिकार नहीं हैं. इसके बाद पूर्वी यूरोप में यह थेरेपी फेमस हो गई. 

सॉल्ट थैरेपी से कैसे होता है अस्थमा का इलाज
मेडिकल भाषा में इसे सॉल्ट रूम थेरेपी या हेलो थेरेपी भी कहते हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि सॉल्ट थैरेपी और अस्थमा के इलाज के बीच में बहुत ही सिंपल साइंस है. कोई भी व्यक्ति अस्थमा का शिकार तब होता है जब उसकी सांस की नलियों में ऐंठन आ जाती है. क्योंकि इस थैरेपी में पूरी तरह से नमक का प्रयोग होता है इसलिए नमक सांस की नलियों में आई सूजन और ऐंठन को कम करता है. जिससे सांस की नलियां खुल जाती हैं और वहां हवा का आना-जाना बहुत आसान हो जाता है. इससे गले में ब्लॉकेज और बलगम बनने की समस्या भी नहीं होती है. आपको बता दें कि सिर्फ अस्थमा ही नहीं बल्कि साइनस, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, साइनोसाइटिस, सोराइसिस, एग्जिमा, एलर्जी वाली खांसी, सामान्य एलर्जी और त्वचा संबंधित बीमारियों में भी यह थैरेपी आराम करती है.

जानें कितना स्वास्थ्यवर्धक है फूलगोभी

ई-सिगरेट महिलाओं को बना सकता है बाँझ, जानें रिसर्च

जानिए किन लोगों के लिए हानिकारक है योग...

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -