चंडीगढ़: देश भर में लगातार बढ़ता जा कोरोना का कहर लोगों की जिंदगी पर कला साया बन चुका है. हर रोज कोई न को इस वायरस की चपेट में आने से मौत का शिकार हो जाता है. वहीं इस कई स्थानों पर इस वायरस से लड़ना बेहद मुश्किल है, जंहा इस वायरस को लेकर लोगों की मानसिकता भाड़ कमजोर होती जा रही है और अब लोग इस वायरस के डर से कापने लगे है. वहीं कई लोग अब तो अपनी हिमायत भी हार चुके है. वहीं इस बात का ध्यान रखते हुए और कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आउटसोर्स पर स्टाफ रखने का फैसला लिया है. इसमें नर्स, रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट आदि अन्य पैरा मेडिकल शामिल है. यह स्टाफ तीन महीने के लिए रखा जाएगा. आवेदकों का प्रशिक्षित होना जरूरी है. इनकी सेवाएं अस्पतालों और फील्ड में ली जाएंगी. अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान ने इसकी पुष्टि की है.
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास स्टाफ की कमी है. सरकार ने वर्ष 2018 और इससे पहले रिटायर हुए डॉक्टरों की सेवाएं फिर से लेने का फैसला लिया है. इसके अलावा जो कर्मचारी व अधिकारी मार्च व अप्रैल में सेवानिवृत्त होंगे, उन्हें जून से पहले सेवानिवृत्त नहीं किया जाएगा. सरकार ने फैसला लिया है कि जितने भी डिप्लोमा धारक आवेदन करेंगे. उन सबकी सेवाएं ली जाएंगी. मासिक वेतन सरकार ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद बताएगी.
सरकार ने वेंटिलेटर के केंद्र को भेजा पत्र: जंहा यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना के चलते प्रदेश सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर 60 वेंटिलेटर मांगे हैं. वर्तमान हिमाचल में 75 वेंटिलेटर हैं. कोरोना से निपटने के लिए यह नाकाफी साबित हो सकते हैं. सरकार ने कहा है कि इन वेंटिलेटर को सेंटर पूल में डाला जा सकता है. वहीं इस बात का पता चला है कि ताकि हिमाचल को जल्द वेंटिलेटर मिल सके. प्रदेश सरकार ने कोरोना पॉजिटिव को आईजीएमसी और टांडा में रखने का फैसला किया है. इन अस्पतालों में वेंटिलेटर की दरकार है. अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा कि वेंटिलेटर के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा है.
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