सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र सरकार की ओर से राय दी गई है, कि वह हर हाल में डॉक्टर्स को जांच करने का अधिकार दे. आइसीएमआर के दिशा निर्देशों के मुताबिक डॉक्टर्स की जांच यह फायदा होगा कि कोरोना मरीजों की जांच में लगने वाला समय कम हो जाएगा. इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टेस्टिंग बढ़ाने के भी निर्देश जारी किए हैं.
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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और आइसीएमआर के महानिदेशक डा.बलराम भार्गव ने संयुक्त रूप से अपना बयान जारी किया है. जिसमें उन्होने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खत लिखकर कहा है कि जांच की हमारी जितनी लैब हैं, खासकर निजी लैब, उनकी क्षमता पूरा सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि ऐसे कदम उठाए जाएं जिससे लोगों की समय से और ज्यादा से ज्यादा तादाद में जांच हो सके. पत्र में कहा गया है कि संक्रमण नए इलाकों में भी फैलना शुरू हुआ है जिसे देखते हुए कड़ी निगरानी की जरूरत है.
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इसके अलावा पत्र में बताया गया है कि सरकारी डाक्टरों को ही जांच की सिफारिश करने की अनुमति है. यह अधिकार कुछ राज्यों के सरकारी डॉक्टर्स को मिला हुआ है. जो चिंता का विषय है. ऐसे वक्त में जब सरकार ने जांच और उपचार की सुविधाएं बढ़ा रखी हैं, तब इस तरह की बंदिशों से जांच में बेवजह देरी होती है. ऐसे में जरूरी है कि संभावित लक्षणों वाले मरीजों की जांच की सिफारिश करने की इजाजत सभी प्रशिक्षित डाक्टरों को दिया जाए. वे चाहे सरकारी डाक्टर हों निजी प्रैक्टिस करने वाले. सिफारिश करने में इतना जरूर ध्यान रखा जाए कि मामला आइसीएमआर के दिशा निर्देशों के दायरे में आता हो.
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