लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मामले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (26 मई) को अपने पास ट्रांसफर कर लिए. रामजन्मभूमि मामले की तरह अब इस मामले का भी ट्रायल उच्च न्यायालय में ही होगा. भगवान श्री कृष्ण विराजमान याचिका पर उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से सभी मामलों के रिकॉर्ड अपने पास भेजने के लिए कहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने कटरा केशव देव खेवट मथुरा के भगवान श्री कृष्ण विराजमान के मित्र रंजना अग्निहोत्री और 7 अन्य की तरफ से दाखिल किए गए स्थानांतरण आवेदन को मंजूर करते हुए यह आदेश पारित किया. कोर्ट ने निर्देश दिया कि, 'मथुरा के जिला जज इस प्रकार के सभी मामलों की एक फेहरिस्त तैयार करें और इन मुकदमों या मामलों के रिकॉर्ड के साथ इसे दो हफ्ते के अंदर इस कोर्ट को स्थानांतरित करें. यह स्थानांतरण इस कोर्ट के स्वतः संज्ञान के अधिकार के तहत स्थानांतरित माना जाएगा.'
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि, 'माननीय मुख्य न्यायाधीश से इस प्रकार के मुकदमों पर सुनवाई और निस्तारण के लिए एक उचित बेंच नामित करने का आग्रह किया जाता है.' याचिकाकर्ताओं ने आग्रह किया था कि अयोध्या के मामले की तरह मूल वाद पर स्वयं उच्च न्यायालय की ओर से सुनवाई की जानी जरूरी है. संबंद्ध पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 3 मई, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो शुक्रवार को सुनाया गया.
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि, 'तथ्यों पर गौर करने से पता चलता है कि 10 वाद दीवानी अदालत के सामने लंबित बताए गए हैं और इस प्रकार के और वाद लंबित हो सकते हैं, जो बीते दो तीन वर्षों से जरा भी आगे नहीं बढ़े. बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान दलीलें पेश करते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील ने सिविल जज की कोर्ट से कहा कि यह मामला सुनवाई के लायक ही नहीं है, क्योंकि इसे लेकर 1968 में ही समझौते हो गया था.
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