हेलो, मैं इंदिरा गांधी, 60 लाख रूपए दे दो..! SBI में आया फोन और फिर..

हेलो, मैं इंदिरा गांधी, 60 लाख रूपए दे दो..! SBI में आया फोन और फिर..
Share:

नई दिल्ली: भाजपा के पुरी सांसद संबित पात्रा ने लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा करते हुए विपक्ष के साथ तीखी बहस छेड़ दी। इस दौरान उन्होंने 1971 में हुए नागरवाला बैंकिंग घोटाले का जिक्र कर कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष किया। 

 

नागरवाला कांड उस समय का एक विवादास्पद मामला था, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक की संसद मार्ग शाखा के मुख्य कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज में फोन करके 60 लाख रुपये एक कूरियर को सौंपने का आदेश दिया गया था। मल्होत्रा ने यह मानते हुए आदेश का पालन किया कि यह निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय से आया है। बाद में यह सामने आया कि यह एक धोखाधड़ी थी, क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऐसे किसी आदेश की पुष्टि नहीं की थी। हालाँकि, इंदिरा गांधी को कभी भी इस मामले में क्लीन चिट नहीं मिल सकी, कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाए गए कि एक ठग रुस्तम सोहराब नागरवाला ने इंदिरा गाँधी की आवाज़ निकालकर SBI में फोन किया था। इस पर भी सवाल उठे, क्योंकि नागरलवला का चेहरा लकवाग्रस्त था, वो ठीक से बोल भी नहीं पाता था, उसने इंदिरा की आवाज़ कैसे निकाली होगी ? और फिर पीएम इंदिरा से पहले SBI अफसर से प्रधानमंत्री के PA पीएन हक्सर ने भी बात की थी। हालाँकि, जब विवाद बढ़ गया, तो बाद में नागरवाला को गिरफ्तार करके उसके घर से 60 लाख रूपए बरामद किए जाने का दावा किया गया। 

संबित पात्रा ने इसी मुद्दे पर संसद में कांग्रेस को घेरा और तुलना करते हुए बताया कि अटलजी के नेतृत्व में भाजपा के शासन में और कांग्रेस के शासन में बैंकों पर कितना NPA था, संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस शासन में बैंकों पर NPA काफी अधिक पाया गया।  कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, "कांग्रेस पार्टी की फोन बैंकिंग प्रणाली, जहां दो P हैं, आपको परफॉर्मर होने की जरूरत नहीं है, लेकिन आपको सिस्टम में पावरफुल कनेक्शन वाले एक पावरफुल व्यक्ति होने की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी के नेता बैंकों को फोन करके लोन देने का आदेश देते थे। वे कहते थे कि लोन दे दो, यह मत आंको कि लोन वापस आएगा या नहीं। उनकी इस फोन बैंकिंग प्रणाली की वजह से हम NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में गले तक डूब गए थे। नरेंद्र मोदी का शुक्रिया, आपने दिवालियापन बैंकिंग शुरू करके सिस्टम को सुधारा।"

पात्रा ने आगे कहा कि ''नागरवाला कांड में इंदिरा गांधी की आवाज होने का दावा किया गया था और इस मामले की जांच रेड्डी आयोग ने की थी। हालाँकि आयोग ने इंदिरा गांधी का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया, लेकिन उन्हें पूरी तरह से क्लीन चिट भी नहीं दी। पात्रा ने इसे बैंकिंग घोटालों की एक रहस्यमय कहानी बताते हुए सांसदों से इस विषय पर प्रकाशित रशीद किदवई की एक पुस्तक 'द स्कैम दैट शुक अ नेशन: द नागरवाला स्कैंडल' पढ़ने का सुझाव दिया।'' डीएमके सांसद ए राजा ने इस तरह के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी अब सदन में नहीं हैं, और उनका बिना किसी ठोस आधार के जिक्र करना अनुचित है। 

 

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
- Sponsored Advert -