हम सभी मंदिर जाते हैं और वहां फूल, प्रसाद चढ़ाते हैं. ऐसे में क्या आप सभी ने कभी सोचा है कि आप सभी के द्वारा चढ़ाए गए फूलों का क्या होता है..? शायद नहीं लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हमारे द्वारा मंदिरों में चढ़ाए गये फूलों का क्या होता है. दरअसल पिछले साल दिल्ली के आठ मंदिरों में एक मशीन लगाई गई थी जिसमे फूलों को बुरादे और बैक्टेरिया के साथ डाला जाता है और उसके बाद उसमे से खाद बाहर आती है.
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मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से हर 15वें दिन खाद तैयार कर ली जाती है जो गंधरहित होती है और उसकी मांग हरियाणा और स्थानीय स्कूलों में सबसे ज्यादा होती है. आपको बता दें कि हम जिस मशीन की बात कर रहे हैं वह दिल्ली की Angelique International नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाई है उन्होंने अपने काम के लिए 73 महिलाओं को तैयार किया जो उन फूलों के कचरे से मोमबत्ती भी बनाती हैं. जी हाँ, जो फूलों का कूड़ा फेंका जाता है उसमे तुलसी के बीज भी शामिल होते हैं जिन्हे रोपा भी जा सकता है. आपको बता दें कि मंदिरों से चढ़ावे के कूड़े से महिलाएं अगरबत्ती के साथ ही धुपबत्ती बनाती हैं.
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महिलाओं की जो संस्था है उसे Green Wave का नाम दिया गया है और यह संस्था करीब 40-50 महिलाओं से मिलकर बनी है. अब दुनियाभर के ना जाने कितने ही मंदिर Green Wave से जुड़े हैं और अपने यहाँ से निकले फूलों को उन्हें दे देते हैं जिससे Green Wave महिलाएं उस कूड़े से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाती हैं. साथ ही उनसे खाद भी तैयार की जाती है.
देख भाई देख
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