बिहार : अप्रैल 2016 से जब से बिहार सरकार ने शराबबंदी की है, तब से राज्य में गांजे की खपत बढ़ने के संकेत मिले हैं. जो लोग पहले शराब पीते थे , अब वह शरीर की मांग की पूर्ती के लिए गांजे के आदी हो रहे हैं. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद से ही गांजा की खपत में उछाल आया है.
इस बारे में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर टीएन सिंह के अनुसार गांजे की आवक और खपत दोनों बढ़ी है. गांजे के कारोबार से जुड़े लोग अब ज्यादा सक्रिय हो गए है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में 496.3 किलो गांजा जब्त हुआ था, जबकि वर्ष 2017 (सिर्फ़ फ़रवरी तक) में 6884.47 किलो गांजा जब्त हो चुका है.
बताया जा रहा है कि बिहार में गांजा तीन जगहों से आता है. ओडीशा के नवरंगपुर, मलकानगिरी, जयपुर, फुलगामी, ब्रह्मपुर, रामगढ़ से जो गांजा बिहार आता है जिसे आंध्रा कहा जाता है. त्रिपुरा से जहां से आने वाले गांजे को मणिपुरी कहा जाता है. रायपुर, छत्तीसगढ़ से भी गांजा बिहार आता है.
बता दें कि जहां बिहार में गांजे की खपत बढ़ी है वही अफ़ीम की खेती में भी वृद्धि हुई है.टीएन सिंह का कहना है कि अफ़ीम की खपत बिहार में नहीं है बल्कि यहां से पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश में सप्लाई होता है. हमारे लिए गांजा सबसे बड़ी चुनौती है. जो नई चुनौती उभर कर आ रही है वो है कोडिन वाले कफ सीरप.
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