दुनियाभर में कई ऐसे स्थान है जिन्हें शापित माना जाता है किसी श्राप की वजह से वह शापित हो जाता है और भुतहा करार दे दिया जाता है और वहाँ कोई आता जाता नहीं है हालांकि ऐसे भी स्थान है जो किसी शाप के चलते अब एक तीर्थ बन गए हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि इस जगह जाने से उनका बहुत भारी नुक्सान हो सकता है और कुछ यहां अपने रोमांच के लिए जाते हैं।
हालांकि कुछ ऐसे भी स्थान है जो शापित तो नहीं है, लेकिन किसी न किसी शाप से जुड़े हैं और जहां जाकर व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है। आओ हम आपको बताते हैं कि भारत में कहां-कहां स्थित है ऐसे शापित स्थान, जहां आज भी शाप का असर कायम है। शापित होने का मतलब यह नहीं की यह स्थान बुरे हैं। यहां आज भी हजारों की तादाद में लोग जाते हैं।
1. जमीन में दफन शापित नगरी- मध्यप्रदेश के देवास जिले के गांव गंधर्वपुरी को शापित गांव माना जाता है। यह गांव प्राचीनकाल में राजा गंधर्वसेन के शाप से पूरा पाषाण में बदल गया था। यहां का हर व्यक्ति, पशु और पक्षी सभी शाप से पत्थर के हो गए थे। फिर एक ‘धूकोट’ (धूलभरी आंधी) चला, जिससे यह पूरी नगरी जमीन में दफन हो गई।
2. शापित किराडु शहर- अब इसे आप चमत्कार कहें या अंधविश्वास, लेकिन एक शहर में एक ऐसा भी स्थान हैं, जहां जाकर लोग हमेशा-हमेशा के लिए पत्थर बन जाते हैं। कोई कहता है कि इस शहर पर किसी भूत का साया है तो कोई कहता है कि इस शहर पर एक साधु के शाप का असर है, यहां के सभी लोग उसके शाप के चलते पत्थर बन गए थे और यही वजह है कि आज भी उस शाप के डर के चलते लोग वहां नहीं जाते हैं। लोगों में अब वहम बैठ गया है। राजस्थान में बाड़मेर के पास किराडु शहर का आखिर सच क्या है? कोई नहीं जनता।
3. भानगढ़ का किला- भानगढ़ राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित एक एक शहर है। हालांकि इस शहर में कोई नहीं रहता है क्योंकि अब यह शहर पूरा का पूरा खंडहर में बदल चुका है। यहां का एक किला और महल सबसे ज्याता शापित माने जाते हैं। अरावली की पहाडि़यों में सिंघिया नाम का तांत्रिक अपने तंत्र-मंत्र और टोटकों के लिए जाना जाता था। कहते हैं कि वह मन ही मन भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती को चाहने लगा था। राजकुमारी को पाने के लिए उसने सिर में लगाने वाले तेल को अभिमंत्रित कर दिया था। कहा जाता है कि रत्नावली भी तंत्र-मंत्र और टोटके की जानकार थी। उसने अपनी शक्ति से तेल के टोटके को पहचान लिया और तेल एक बड़ी शिला पर डाल दिया। इस प्रयोग के बाद शिला तांत्रिक की ओर उड़ चली। चट्टान को अपनी ओर आते देख तांत्रिक क्रोधित हो गया। उसने शिला से कुचलकर मरने से पहले एक और तंत्र किया और शिला को समूचे भानगढ़ को बर्बाद करने का आदेश दिया। चट्टान ने रातों-रात भानगढ़ के महल, बाजारों और घरों को खंडहर में तब्दील कर दिया। लेकिन मंदिरों और धार्मिक स्थानों पर तांत्रिक का तंत्र नहीं चला और मंदिरों के शिखर ध्वस्त होने से बच गए।
4. असीरगढ़ का किला- कहते हैं यहाँ स्थित शिव मंदिर में महाभारतकाल के अश्वत्थामा आज भी पूजा-अर्चना करने आते हैं। कहते हैं कि जो एक बार अश्वत्थामा को देख लेता है, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। ब्रह्मास्त्र चलाने के बारण भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को कलियुग में एक निश्चित तिथि तक भटकते रहने का शाप दे दिया था। यही कारण है कि पिछले लगभग पांच हजार वर्षों से अश्वत्थामा आज भी भटक रहे हैं। उनके बारे में कई जगहों पर उनके देखे जाने की जनश्रुतियां प्रचलित है उसी में से एक असीरगढ़ का किला सबसे ज्यादा प्रचलित है।
5. देवास का दुर्गा मंदिर- इस मंदिर के बारे लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। कोई कहता है यह मंदिर जाग्रत है तो कुछ का मानना है शापित। किसी का दावा है कि यहां की देवी भोग में बलि लेती हैं तो कुछ कहते हैं कि यहां एक महिला की आत्मा भटकती है। जी हां, जितने मुंह, उतनी बातें।