यहाँ शिवलिंग पर बने है कई सारे चेहरे, अद्भुत है महादेव का ये मंदिर

यहाँ शिवलिंग पर बने है कई सारे चेहरे, अद्भुत है महादेव का ये मंदिर
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सोलापूर: महाराष्ट्र में भी एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप में कई राज और रहस्यों को समेटे हुए है। यह मंदिर सोलापूर जिले में स्थित हरिहरेश्वर मंदिर है। महाराष्ट्र के सोलापूर जिले के कुंडल संगम में है हरिहरेश्वर मंदिर। सोलापूर में हरिहरेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान महादेव और विष्णु एक साथ में पूजे जाते हैं। हरिहरेश्वर मंदिर में हुए उत्खनन में बहुमुखी शिवलिंग को खोद कर निकाला गया था। फिर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस शिवलिंग को संरक्षित किया। देश भर में अपने आप में यह एकमात्र सबसे अनोखा शिवलिंग है।

हरिहरेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग तो एक है किन्तु इसके चेहरे कई हैं। इस शिवलिंग में 9 पंक्तियों में भगवान महादेव के चेहरे उकेरे हुए हैं। शिवलिंग में कुल मिलाकर 359 चेहरे हैं तथा खास बात यह है कि भगवान महादेव के हर चेहरे के भाव अलग-अलग हैं। इस शिवलिंग को बहुमुखी शिवलिंग कहा जाता है। शिवलिंग का वजन तकरीबन 4.5 टन बताया जाता है। यह शिवलिंग 11वीं शताब्दी का बना बताया जाता है। शिवलिंग की लंबाई तकरीबन 1.99 मीटर है। दूर-दराज के क्षेत्रों से भक्त यहां भगवान महादेव के इस अनोखे शिवलिंग के दर्शन करने आते रहते हैं। 1999 में सोलापूर के एक कॉलेज के प्रोफेसर ने इस मंदिर को सर्वप्रथम खोजा था। अपने छात्रों के साथ यहां आने पर उन्हें पत्थरों के नीचे छिपा यह मंदिर मिला था। इस मंदिर में स्वर्ग मंडप (खुला मंडप) है, जो उस वक़्त के मंदिरों में बहुत कम देखने को मिलता था। 

हरिहरेश्वर मंदिर में शिवलिंग खुदाई के चलते मिला था। इस प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आर्कियोलॉजी की टीम मंदिर परिसर में पहुंची थी। पुराने पड़े पत्थरों को हटाने के क्रम में पता चला कि मंदिर का कुछ भाग जमीन के अंदर धंसा हुआ है। उसी जगह पर खुदाई करने के बाद उन्हें शिवलिंग मिला था। शिवलिंग में ऊपरी हिस्से की तरफ उकेरे गये चेहरों में भगवान महादेव के सिर्फ चेहरे और जटाएं दिखायी देती हैं। किन्तु नीचे की तरफ के चेहरों में भगवान महादेव ध्यानमग्न अवस्था में बैठी हुई मुद्रा में दिखायी देते हैं। आमतौर पर सभी मंदिर पूर्व या फिर उत्तरमुखी होते हैं किन्तु हरिहरेश्वर मंदिर पश्चिममुखी मंदिर है। इस मंदिर में एक नहीं बल्कि दो गर्भगृह हैं। एक गर्भगृह में प्रभु श्री विष्णु यानी हर और दूसरे गर्भगृह में भगवान महादेव  यानी हरि स्थापित हैं। यह मंदिर भीमा और सीमा नदियों के संगम स्थल पर स्थित है। यह जगह महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की सीमाओं को भी चिन्हित करता है।

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