गवर्नर आरिफ खान के फैसले पर हाई कोर्ट ने लगाई मुहर, सिद्धार्थन हत्या मामले में CPM से जुड़े कुलपति का निलंबन बरकरार

गवर्नर आरिफ खान के फैसले पर हाई कोर्ट ने लगाई मुहर, सिद्धार्थन हत्या मामले में CPM से जुड़े कुलपति का निलंबन बरकरार
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कोच्ची: केरल उच्च न्यायालय ने पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, पूकोड, वायनाड के कुलपति के रूप में डॉ एम आर ससींद्रनाथ के निलंबन को बरकरार रखा है। केरल के राज्यपाल डॉ आरिफ मोहम्मद खान ने 18 फरवरी, 2024 को जे एस सिद्धार्थन की कथित हत्या के आलोक में राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में उन्हें निलंबित कर दिया।

कुलपति को निलंबित करने की गवर्नर की शक्ति और अधिकार को चुनौती देते हुए अदालत के समक्ष याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने निलंबन आदेश पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। विस्तृत बहस के बाद फैसला सुनाया गया। ससींद्रनाथ ने निलंबन के तुरंत बाद मीडियाकर्मियों से कहा था कि निलंबन आदेश को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जाएगी। लेकिन, राज्य सरकार के कथित आग्रह के कारण उन्होंने फिर भी अदालत का रुख किया। कोर्ट ने विस्तृत दलीलें सुनने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया है। 

केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन एम के नारायणन और ट्यूटर और सहायक छात्रावास वार्डन आर कंथानाथन को 5 मार्च, 2023 को तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति, पी सी ससींद्रन द्वारा निलंबित कर दिया गया था। ससींद्रन को चांसलर की नौकरी छोड़नी पड़ी। गवर्नर  डॉ आरिफ मोहम्मद खान ने जे एस सिद्धार्थन की मौत के सिलसिले में निलंबित 33 छात्रों को बहाल करने का अपना आदेश रद्द कर दिया। पूरी रिपोर्ट से पता चला कि आरोपी वामपंथी छात्र गुट SFI के लोग थे। बाद में राज्यपाल ने डॉ के एस अनिल को कुलपति की जिम्मेवारी सौंपी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने काफी हंगामा मचाया था कि, गवर्नर असंवैधानिक और गैर कानूनी काम कर रहे हैं, लेकिन अब हाई कोर्ट ने उनके फैसले पर मुहर लगा दी है।  

बता दें कि, मार्च महीने के दौरान जेएस सिद्धार्थन को दी गई क्रूर यातना और उनकी दुखद मौत, जिसे एक हत्या बताया गया है, के बारे में कई खबरें प्रकाशित हुईं थीं। रिपोर्ट्स में बताया गयाथा कि कैसे राज्य सरकार ने जांच के सिलसिले में धीमी गति से काम किया। जब जे एस सिद्धार्थन के माता-पिता ने आंदोलन की घोषणा की, तो मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने CBI जांच की अनुमति दी। लेकिन, CBI को दस्तावेज भेजने में भी राज्य प्रशासन द्वारा देरी की गई। दस्तावेज़ दिल्ली भेजे जाने से पहले मृतक के गरीब पिता को फिर एक बार आंदोलन की घोषणा करनी पड़ी; लेकिन इन सबके बीच देरी करने की रणनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और मामला ठंडा पड़ गया। 

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