जम्मू: अलगाववादियों और हुर्रियत नेताओं को दी गई सुरक्षा पर सरकार से फिर जवाब की मनाग कर दी है. जंहा 4 सप्ताहों के अंदर सरकार को यह बताना होगा कि कितने अलगाववादियों, हुर्रियत नेताओं और देश विरोधी लोगों को सुरक्षा दी गई है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि इन पर कितना खर्च किया जा रहा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि कोर्ट में दीवाकर शर्मा की ओर से जनहित याचिका दायर कर इन लोगों की सुरक्षा हटाने की मांग की गई थी. चीफ जस्टिस गीता मित्तल और राजेश बिंदल वाली खंडपीठ ने बीते बुधवार यानी 19 फरवरी 2020 को इस याचिका पर सुनवाई की जा चुकी है. वहीं इस बात का पता चला है कि सरकार को चार हफ्तों को वक्त दिया और इसकी स्टेटस रिपोर्ट मांगी.
हिंसा फैलाने वालों को सुरक्षा क्यों?: हम बता दें कि याचिका में कहा गया कि 1990 से ही अलगाववादी और हुरिर्यत नेता कश्मीर में हिंसा भड़का रहे हैं. इन लोगों की वजह से हजारों लोगों की जान चली गई. फिर भी इनको सरकारी सुरक्षा दी गई है, जिसे हटाना चाहिए. क्यों इन्हें सुरक्षा कवर दिया गया है. वहीं सूत्रों का कहना है कि देश विरोधी और इन लोगों से सुरक्षा वापस लेनी चाहिए. इनकी वजह से कश्मीर में 1990 के बाद से ही युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं.
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