नईदिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर करीब 20 हजार रूपए जुर्माना आरोपित किया गया है। जिसे लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार की आलोचना की है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा और कहा कि यदि न्यायालय ने उन पर जुर्माना आरोपित किया होता तो फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग लेते। आखिर अब उनकी नैतिकता कहाॅं चली गई। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हीं के रिसर्च पेपर चोरी कर लिए गए और अब सीएम नीतीश कुमार के नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है। हालांकि जुर्माने के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने न्यायालय से अपील की कि उनका नाम आरोपी के तौर पर हटाया जाए।
मिली जानकारी के अनुसार जेएनयू के रिसर्च स्कॉलर रहे अतुल कुमार सिंह ने कॉपीराइट एक्ट के वाॅयलेशन के मामले में नीतीश कुमार के खिलाफ उच्च न्यायालय में वाद दायर किया है। अतुल का आरोप है कि पटना के एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के सचिव शैवाल गुप्ता के द्वारा पब्लिश की गई किताब उनके रिसर्च का चोरी किया हुआ एडिशन है। इस किताब को 2009 में नीतीश कुमार के नाम से छापा गया।
इस मामले में तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर ट्विट किया और लिखा कि मुख्यमंत्री जी बताएं किसी स्टूडेंट का रिसर्च पेपर अपने नाम से छापना कौन.सी नैतिकता है। अपनी सहूलियत के हिसाब से नैतिकता का पैमाना तय करने पर आपकी अंतरात्मा क्या बोलती है। यदि न्यायालय 20 हजार जुर्माना तेजस्वी पर लगा देता तोसीएम नीतीश कुमार नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग लेते।
नीतीश ने शुक्रवार को कोर्ट से आरोपी के तौर पर उनका नाम हटाए जाने की गुजारिश की। अपील में नीतीश की ओर से कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई केस नहीं बनता और गलत इरादे के साथ शर्मिंदा करने के लिए केस में नाम जोड़ा गया।
हालांकि कोर्ट ने नीतीश की अपील खारिज करते हुए उनपर 20 हजार रूपए का जुर्माना लगाने का ऑर्डर दिया। ज्वाइंट रजिस्ट्रार संजीव अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा शिकायतकर्ता को प्रतिवादी चुनने का हक है। जेएनयू के दो सुपरवाइजरों ने सर्टिफाई किया है कि ये रिसर्च अतुल कुमार की है। इसलिए केस जायज है और नीतीश कुमार की एप्लीकेशन ज्यूडीशियल प्रॉसेस का दुरुपयोग है। इसे जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है।
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