लॉकडाउन के बीच बढ़ रही घरेलू हिंसा, हाई कोर्ट कही ये बात

लॉकडाउन के बीच बढ़ रही घरेलू हिंसा, हाई कोर्ट कही ये बात
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जम्मू: एक तरफ दुनियाभर में बढ़ता जा रहा कोरोना का कहर तो दूसरी और लगातार बढ़ रहे जुर्म के केस ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है, जुर्म एक ऐसी मानवीय आपदा है जिसका अंत कभी नहीं हो सकता है, वहीं कोरोना से लगातार आज दुनिया के कोने कोने में मौत के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे है. जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने लॉक डाउन जैसे नियम शुरू तो कर दिए लेकिन इसके बाद से घरेलु हिंसा पनपने लगी है. वहीं हाल ही में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं तथा बच्चियों पर हो रही घरेलू हिंसा की घटनाओं का जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के सभी कोर्ट को हिदायत दी कि घरेलू हिंसा की घटनाओं को आवश्यक मानते हुए सुनवाई की जाए. कोर्ट ने अधिवक्ता मोनिका कोहली को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है. 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तथा न्यायाधीश रजनीश ओसवाल ने अपने अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि पूरे विश्व में कोरोना महामारी के चलते महिलाओं एवं बच्चों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है. हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के समाज कल्याण विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य सचिव को नोटिस जारी किया.  इनसे लॉकडाउन के चलते महिलाओं के प्रति होने वाले घरेलू या अन्य किसी प्रकार की हिंसा के संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि विभिन्न देशों की ओर से अपनाए गए तरीकों का परीक्षण करते हुए दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में सुझाव दे. 

वहीं इस बात का पता चला है कि कोर्ट ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के लिए टेली / ऑनलाइन कानूनी और परामर्श सेवा और महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान तय किए जाने चाहिए. इसके साथ ही किराने तथा दवा की दुकानों पर शिकायत करने की सुविधा होनी चाहिए.  इसके साथ ही खाली पड़े होटल, शिक्षण संस्थानों को आश्रय स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य सचिव घरेलू हिंसा से जुड़े लंबित मामलों की सूची तैयार करें तथा ऐसे मामलों में महिलाओं की सुरक्षा तथा उनके हितों को सुनिश्चित करें. वे इसके लिए पुलिस की भी सहायता ले सकते हैं. निर्देश दिया कि अगली तारीख पर उठाए जाने वाले कदमों की रिपोर्ट पेश की जाए.

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