कोलकाता: बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राष्ट्रीय महासचिव और सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को बड़ा झटका लगा है. केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले ही कुंतल घोष के पत्र की बुनियाद पर अभिषेक को पूछताछ के लिए बुला चुकी है. TMC की नबज्बार यात्रा के दौरान अभिषेक को दोबारा तलब किया गया था, मगर वो पूछताछ में शामिल होने के लिए नहीं गये थे.
इसके बजाय ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दाखिल कर दिया था और आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसी उन्हें परेशान करने का प्रयास कर रही है. हालांकि, अब शीर्ष अदालत ने इस मामले में दखल देने से साफ़ इनकार कर दिया है. आज सोमवार (10 जुलाई) को मामले की सुनवाई में शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को अवैध लेनदेन मामले के आधार पर किसी से पूछताछ करने का पूरा अधिकार है और जांच में सहयोग करने में आपको क्या समस्या है?
कांग्रेस नेता बने अभिषेक बनर्जी के वकील:-
बता दें कि, बाहरी तौर पर भले ही बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, ममता बनर्जी को 'शैतान' कहकर उनपर निशाना साधते हों, लेकिन एक कांग्रेस नेता और पेशे से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ही सीएम ममता के भतीजे को शिक्षक भर्ती घोटाले में बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उनका केस लड़ रहे हैं. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि उनके क्लाइंट (अभिषेक) को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है. अभिषेक बनर्जी की निजी स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है. शीर्ष अदालत यह दलील नहीं सुननी चाहती थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'अभिषेक बनर्जी चाहें तो नया केस दाखिल कर सकते हैं.' इतना कहकर मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय में वापस कर दिया गया.
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