कोरोना तेजी से कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को अपना शिकार बना रहा है. लॉकडाउन और संक्रमण को रोकने के लिए चल रही स्थिति में ब्रेस्ट कैंसर के वे रोगी, जिन्हें कीमो या रेडियोथेरेपी करानी पड़ रही है, उनके लिए यह समय मुश्किल भरा है. ऐसे रोगियों को चाहिए कि वे अपने चिकित्सक से परामर्श कर हर सप्ताह थेरेपी लेने के बजाय दो से तीन सप्ताह का विकल्प चुनें और ज्यादा बार अस्पताल जाने से बचें.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों या इससे जंग जीत चुके लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए कोरोना के संक्रमण के अतिरिक्त अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ब्रेस्ट कैंसर का उपचार ले रहे रोगियों पर रिस्क तब और बढ़ जाता है, जब उन्हें किसी दूसरे रोग की भी समस्या होती है. हालांकि ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों में कोरोना का खतरा रोगी में संक्रमण की स्थिति के हिसाब से ही होता है. यदि ब्रेस्ट कैंसर रोगी हाइपरटेंशन या डायबिटीज से संक्रमित है तो संक्रमण का खतरा अन्य रोगियों की अपेक्षा बढ़ जाता है.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी से भी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. रेडियोथेरेपी के दौरान, ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों को अस्पताल अधिक जाना पड़ता है, इसलिए उन्हें संक्रमण से बचने के सभी उपाय अपनाने चाहिए. वही, जिस प्रकार का परिदृश्य हमारे सामने है, ऐसे में कोविड-19 का प्रकोप शांत होने में समय लगेगा. पर कैंसर जैसी बीमारी के उपचार को ज्यादा दिनों तक टाला नहीं जा सकता. गंभीर अवस्था वाले ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों को समय से इलाज देना जरूरी होता है, जिससे कि रोग का संक्रमण अधिक न होने पाए. इसके साथ ही हर सप्ताह कीमोथेरेपी देने के बजाय समय को थोड़ा और बढ़ाया जा सकता है. जबकि सर्जरी के मरीजों को उसी दिन या अगले दिन छुट्टी देकर लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने से बचाना चाहिए. मेटास्टेटिक रोग (शरीर के बाकी हिस्सों में फैलने वाली बीमारी) के रोगियों के लिए यदि संभव हो तो मौखिक कीमोथेरेपी/ हार्मोनल थेरेपी का विकल्प चुना जा सकता है.
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