बैंगलोर: कर्नाटक में एक हालिया घटनाक्रम में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार ने 'कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण' द्वारा आयोजित सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं के दौरान हिजाब और बुर्के के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है।विभिन्न सरकारी संस्थाओं में कर्नाटक में 670 भर्तियां निकली हैं और उनमें भर्ती के लिए परीक्षाएँ होने वाली हैं। ये परीक्षाएं 28-29 अक्टूबर, 2023 को आयोजित की जाएँगी। लेकिन, परीक्षा के दौरान ड्रेस कोड और पोशाक पर पार्टी के रुख को देखते हुए इस फैसले ने सवाल और चिंताएं बढ़ा दी हैं। स्पष्ट विरोधाभास और संभावित निहितार्थों के आलोक में इस स्थिति की जांच करना आवश्यक हो गया है।
हिजाब और बुर्के पर कांग्रेस सरकार का रुख:-
बता दें कि, मई 2023 के चुनावों में जीत हासिल करने के बाद, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने परीक्षाओं के दौरान हिजाब और बुर्के के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर व्यक्तिगत गरिमा के महत्व पर जोर देते हुए इस फैसले का बचाव करते हैं।
राजस्थान में परीक्षा केंद्रों के बाहर हिंदू छात्राओं के कपड़े कटवाने वाली कांग्रेस ने कर्नाटक में प्रतियोगी परीक्षाओं में बुर्का और हिजाब पहनने की छूट दे दी है। @INCIndia ने 70 साल से इसी तरह हिंदू होने को दंडनीय और मुसलमान या ईसाई बनने को पुरस्कृत किया है।#ConversionMafia pic.twitter.com/4dAijBYhMH
— Chandra Prakash (@CPism) October 22, 2023
कर्नाटक में बुर्का और हिजाब विवाद:-
गौरतलब है कि पिछली बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी कर्नाटक को स्कूलों और कॉलेजों में बुर्के के इस्तेमाल को लेकर विवादों का सामना करना पड़ा था। इस्लामी कट्टरपंथियों ने समान नियमों का विरोध किया और कक्षाओं में हिजाब/बुर्का पहनने के अधिकार की मांग की। जबकि, रूढ़िवादी इस्लामिक देश सऊदी अरब समेत कई देशों ने शिक्षण संस्थानों या परीक्षा हॉल में हिजाब/बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा रखा है। सऊदी अरब ने इस फैसले के पीछे तर्क दिया था कि, शिक्षण संस्थानों/ परीक्षा केंद्रों में सभी विद्यार्थियों को यूनिफार्म ही पहनना चाहिए, लेकिन इसके उलट धर्मनिरपेक्ष देश भारत में स्कूल/कॉलेज के अंदर हिजाब/बुर्का पहनने को लेकर काफी बवाल मचा था। यहाँ तक कि, कर्नाटक में हर्षा और प्रवीण नेत्तरु की हत्या के पीछे भी हिजाब विवाद ही सामने आया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी शिक्षण संस्थानों में यूनिफार्म को तरजीह देते हुए हिजाब पर प्रतिबंध को सही ठहराया था।इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहाँ दो जजों की बेंच ने खंडित फैसला सुनाया, यानी एक हिजाब के पक्ष में थे और एक विरोध में, तब मामला बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया था। लेकिन इसके बाद से इसकी कोई खबर सामने नहीं आई है।
क्या होगा ड्रेस कोड :-
कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण ने भर्ती परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं। पुरुष उम्मीदवारों को आधी आस्तीन वाली शर्ट और बिना जेब वाली सादी पतलून पहननी होगी, जबकि पूरी आस्तीन वाली शर्ट, कुर्ता-पायजामा और जींस पहनना सख्त वर्जित है।
कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी PFI और SDPI के वादों को पूरा करने में जुट गई है...
— Manoj Kumar ????️???????? (@manoj_begu) October 22, 2023
कर्नाटक की कांग्रेस सरकारसरकारी परीक्षाओं में हिजाब की अनुमति देने का फैसला किया, कुर्ता पर प्रतिबंध।
याद रहे भाजपा सरकार ने हिजाब को प्रतिबंधित किया था और इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने
स्कूल-कॉलेजों… pic.twitter.com/Gdoaf5kdIl
दोहरा मापदंड: हिजाब बनाम कुर्ता-पायजामा:-
कांग्रेस सरकार द्वारा महिला उम्मीदवारों के लिए हिजाब/बुर्के की अनुमति देने का निर्णय ड्रेस कोड नीतियों में उसके दोहरे मानकों पर सवाल उठाता है। कांग्रेस सरकार ने जहाँ एक ओर हिजाब की अनुमति दी है, वहीं कुर्ता-पायजामा, पूरी आस्तीन वाली शर्ट और जींस पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध ने कुछ आलोचकों को सरकार के दृष्टिकोण की निष्पक्षता और दोहरेपन पर सवाल खड़ा करने का मौका दे दिया है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है।
राजनीतिक निहितार्थ और मुस्लिम ध्रुवीकरण:-
ड्रेस कोड नीति से जुड़ा विवाद संभावित राजनीतिक निहितार्थों का संकेत देता है। कुछ लोगों का तर्क है कि यह राज्य में मुस्लिम मतदाताओं के ध्रुवीकरण में योगदान दे सकता है, जो चुनाव से पहले हुए समान तनाव की प्रतिध्वनि है।
निष्कर्षतः, परीक्षा के दौरान हिजाब की अनुमति देने और अन्य पारंपरिक पोशाकों पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस सरकार के फैसले ने विवाद और पाखंड के आरोपों को जन्म दे दिया है। यह स्थिति शैक्षिक और परीक्षा सेटिंग्स में ड्रेस कोड नीतियों के लिए एक संतुलित, निष्पक्ष और सुसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देती है, जो सभी विद्यार्थियों के लिए एक समान हो।
कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप क्यों:-
बता दें कि, राज्य की कांग्रेस सरकार पहले ही धर्मान्तरण कानून रद्द कर चुकी है, वो भी ऐसे समय में जब देश के विभिन्न हिस्सों से डरा-धमकाकर, लालच देकर, ब्रेनवाश करके, प्रेम जाल में फंसाकर लोगों का धर्मांतरण करने की घटनाएं लगातार सामने आ रहीं हैं। यहाँ तक कि, गेमिंग एप के जरिए छोटे-छोटे बच्चों का भी ब्रेनवाश कर उनका धर्मान्तरण किया जा रहा है, लेकिन उससे रक्षा करने का कानून अब कर्नाटक में हट चुका है। यानी एक तरह से अब कर्नाटक में धर्मान्तरण की खुली छूट है। वहीं, राज्य के पशुपालन मंत्री वेंकटेश ने गौहत्या रोकने वाले कानून की भी समीक्षा करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि, 'जब भैंस काटी जा सकती है, तो गाय क्यों नहीं।' उन्होंने कहा था कि, हम चर्चा करेंगे और इस पर फैसला लेंगे। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि, क्या अब राज्य सरकार गौहत्या की भी छूट देने जा रही है ? कांग्रेस सरकार के इन्ही फैसलों को लेकर विरोधी उनपर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हैं।
'भारतीय पहचान पर शर्म आती है तो पाकिस्तान आ जाइए..', अरफ़ा खानम शेरवानी को PAK क्रिकेटर ने लताड़ा