नई दिल्लीः पिछले चार सालों में केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की बिक्री से मालामाल हो गई है। सरकार को कच्चे तेल में नरमी और देश में लगातार मूल्यवृध्दि से आमदनी दोगुनी हो गई है। सरकारी तेल कंपनियां भी अच्छा खासा मुनाफा कमा रही है। जो अंततः सरकार के पास लाभांश के रूप में पहुंचती है। पिछले चार साल में ही केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर 135.60 फीसदी अप्रत्यक्ष कर बढ़ाई है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2014-15 में सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री से केंद्र सरकार को 126025 करोड़ रुपये मिले थे जो कि वर्ष 2018-19 में 135.60 फीसदी बढ़ कर 296918 करोड़ रुपये हो गया।पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाली कंपनियों द्वारा सरकार को चुकाये गए आयकर, लाभ पर लाभांश, लाभ वितरण पर देय कर -डीडीटी- आदि को जोड़ दिया जाये तो यह राशि और भी बढ़ जाती है।
वर्ष 2014-15 में केंद्र सरकार को 172065 करोड़ रुपये मिले थे जो कि वर्ष 2018-19 में बढ़ कर 365113 करोड़ रुपये हो गया है। यह 112.20 फीसदी की बढ़ोतरी है। कच्चे तेल के दाम में फिर से बढ़ोतरी होने की वजह बीते 20 दिनों में ही पेट्रोल 3.22 रुपये और डीजल 2.33 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। 12 नवंबर 2014 से अभी तक केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल पर दस बार केंद्रीय उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी कर चुकी है। सरकार ने 21 जुन को पेश किए अपने हालिया बजट में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया है।
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