शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए स्कूली शिक्षा में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को कम उम्र से ही स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी और जागरूकता देने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है। उनका मानना है कि इस पहल से बच्चे बीमारियों के प्रति अधिक सजग होंगे और बेहतर जीवनशैली अपनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने यह बात "टीबी मुक्त भारत" अभियान के शुभारंभ के अवसर पर कही। हिमाचल प्रदेश में 100 दिनों तक चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य टीबी के अधिक से अधिक मामलों की पहचान करना, पीड़ितों को बेहतर इलाज मुहैया कराना और आम जनता में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। अभियान के पहले दिन मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक्स-रे मशीन के जरिए टीबी जांच कराई और इस पहल की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि यह अभियान हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को राज्य सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि इससे जुड़े सुधारों को लागू करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य जागरूकता को बचपन से ही सिखाने की जरूरत है। अगर बच्चों को शुरुआती दिनों में ही बीमारियों और उनके बचाव के तरीकों के बारे में सिखाया जाए, तो इससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। इसी सोच के तहत राज्य सरकार स्कूली सिलेबस में बदलाव पर काम कर रही है। 7 सितंबर को हरियाणा से इस 100-दिन के टीबी उन्मूलन अभियान की शुरुआत हुई थी। हिमाचल प्रदेश में भी इसे पूरी तत्परता से लागू किया जा रहा है, ताकि टीबी जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करने और स्वस्थ समाज का निर्माण करने में मदद मिल सके। इस पहल से न केवल बीमारी की पहचान और इलाज बेहतर होगा, बल्कि लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।