शिमला: हिमाचल प्रदेश पहले से ही 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और राज्य की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपये के ओवर ड्राफ्ट में है और अब कोषागार को बंद होने से बचाने के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार बुधवार (8 जून) को 800 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में राज्य की वित्तीय हालत पर मंथन किया गया। मंत्रिमंडल के सदस्यों ने राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति पर चिंता जाहिर की है।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने जानकारी दी है कि केंद्र सरकार ने प्रदेश के कर्ज लेने की सीमा पर लगभग पांच हजार करोड़ रुपये वार्षिक की कटौती कर दी है। कर्ज लेने की सीमा में कटौती से आर्थिक संकट बढ़ा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने न केवल राज्य के कर्ज लेने की सीमा में कटौती कर दी है, बल्कि बाहरी सहायता प्राप्त प्रोजेक्टों के लिए आर्थिक मदद लेने की सीमा भी निर्धारित कर दी है। जिसके चलते सरकार एक साल में 300 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्टों के लिए बाहरी सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगी।
बता दें कि, लगभग 8500 करोड़ रुपये के बाह्य सहायता प्राप्त प्रोजेक्ट केंद्र के पास पेंडिंग हैं। हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य में पूर्व भाजपा सरकार के समय निवेश सम्मेलन में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के सहमति पत्र साइन हुए थे, मगर धरातल पर केवल 27 हजार करोड़ का निवेश उतरा। सीएम सुक्खू निवेश बढ़ाने के मकसद से पहले से लटके 100 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्टों पर दो दिन शिमला में निवेशकों के साथ बातचीत करेंगे। इस दौरान ऊर्जा विभाग के 20, पर्यटन के 14 तथा उद्योग विभाग के 46 प्रस्तावों पर निवेशकों के साथ मंथन होगा।
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