शिमला: हिमाचल की मंडियों में अब टेलीस्कोपिक कार्टन की आड़ में बागवानों से लूट आरंभ हो गई है। हैरानी की बात यह है कि इन कार्टनों में आढ़ती 34 किलो सेब खरीद रहे हैं और बागवानों को बीस किलो सेब के ही पैसे दे रहे हैं। अभी तक आढ़ती यह खेल आजादपुर मंडी में चल रहा था। अब राज्य की मंडियों में भी यही खेल शुरू हो चुका है। बागवानों को राज्य सरकार यूनिवर्सल कार्टन मुहैया नहीं करवा पाई है। बता दें कि यूनिवर्सल कार्टन में केवल बीस किलो सेब ही भरा जा सकता है और इससे आढ़तियों की मनमानी भी रोकी जा सकेगी।
बागवान आए दिन शिकायत करते हैं कि उनको सेब की फसल के भाव किलो के हिसाब से नहीं दिए जाते। टेलीस्कोपिक कार्टन में 34 किलो तक सेब भरकर मंडियों में लाने के लिए कहा जाता है और कीमत का भुगतान बीस किलो के हिसाब से किया जाता है। इस तरह से मंडियों में बागवान का सेब बेचते वक़्त आर्थिक शोषण होता है। बागवान मुखर होकर मंडियों में इस प्रकार की व्यवस्थाओं का विरोध तक नहीं कर पाते। हैरानी की बात है कि मंडियों में हो रही गड़बड़ियों को रोकने में सरकार भी अधिक ध्यान नहीं दे रही है। बागवान टेलीस्कोपिक के बदले यूनिवर्सल कार्टन की डिमांड कर रहे हैं, मगर यह मांग लंबित पड़ी हुई है।
बता दें कि यूनिवर्सल कार्टन की बनावट ऐसी होेती है कि उसमें केवल दस या बीस किलो सेब ही पैक किया जा सकता है। जबकि, टेलीस्कोपिक कार्टन में बीस की जगह 34 किलो तक सेब भरने की गुंजाइश रहती है। टेलीस्कोपिक कार्टन में दोनों तरफ ढक्कन रहते हैं। इनकोे बाहर करके बीस किलो से ज्यादा सेब पैक किया जाता है।
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