कई आधुनिक इमारतें हुईं ध्वस्त, पर अडिग खड़ा है पंचवक्त्र शिव मंदिर, सदियों से सहता आया है प्रकृति के आघात

कई आधुनिक इमारतें हुईं ध्वस्त, पर अडिग खड़ा है पंचवक्त्र शिव मंदिर, सदियों से सहता आया है प्रकृति के आघात
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शिमला: हिमाचल प्रदेश में निरंतर हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से चारों ओर तबाही और जल प्रलय जैसा मंजर दिखाई दे रहा है। राज्य में बीते 36 घंटों में 9 बार बादल फट चुके हैं और 13 बार लैंडस्लाइड हो चुका है, जिसमे नदियों पर बने कई पुल बह गए, वृक्ष अपनी जड़ों समेत नदी में समा गए, तो वहीं आधुनिक इंजीनियरिंग का गर्व लेकर खड़ी कई इमारतों ने भी जल समाधि ले ली, लेकिन इतना सबकुछ होने के बाद भी राज्य के मंडी जिले में स्थित पंचवक्त्र शिव मंदिर का 300 साल पुराना होना और इस बाढ़ और लैंडस्लाइड जैसी आपदाओं के बावजूद खड़ा रहना वाकई अद्भुत है। यह मंदिर आज भी दुनिया के सामने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गहन आध्यात्मिकता का प्रमाण बने गर्व से खड़ा है।

 

बता दें कि, मंडी को छोटी काशी भी कहते है क्योंकि जिस प्रकार काशी गंगा नदी के तट पर स्थित है, उसी प्रकार मंडी ब्यास नदी के तट पर स्थित है। मंडी के प्रमुख स्थानों में से एक है पंचवक्त्र मंदिर। यह मंदिर सुकोती और ब्यास नदी के संगम क्षेत्र पर स्थित है। यह मंदिर 300 वर्ष प्राचीन है और कई आपदाएं झेल चुका है। इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन (1684-1727) ने बनवाया था। विशाल मंच पर खड़ा यह मंदिर बाढ़ के बीच भी भली-भांति सुसज्जित है। इसका निष्कर्ष निकालना मुश्किल है कि यह क्या शिव जी के चमत्कार का परिणाम है या फिर यह किसी अन्य कारण से हो रहा है। श्रद्धालु बेशक इसे भगवान शिव का चमत्कार ही बता रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे वो ज्ञान है, जो यहाँ के मनीषियों ने अपनी ध्यान-साधना और प्राचीन विद्या से प्राप्त किया है। इस ज्ञान को भगवान शिव से प्राप्त अवश्य माना जा सकता है, क्योंकि, सनातन धर्म के अनुसार, महादेव को ही संसार का आदि स्त्रोत माना जाता है, जिनसे ही पंचमहाभूतों सहित तमाम वस्तुएं और ज्ञान उत्पन्न हुए हैं।  

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाभारत काल में पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इसी जगह पर भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। मंदिर के भीतर का शांत वातावरण रोजमर्रा की जिंदगी की उथल-पुथल से राहत प्रदान करता है। भक्त अक्सर ध्यान और प्रार्थना में संलग्न रहते हैं, खुद को मंदिर परिसर में व्याप्त दिव्य ऊर्जा में लीन कर देते हैं। अपने आध्यात्मिक महत्व से अलग, पंचवक्त्र मंदिर वास्तुशिल्प चमत्कारों का अद्भुत नमूना है। पौराणिक दृश्यों और देवताओं को दर्शाती जटिल पत्थर की नक्काशी आपको प्राचीन युग में ले जाती है। इस मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया है, जिसके जुड़ाव में कई तरह के रसायनों का इस्तेमाल किया गया है

दरअसल, जब से दुनिया में वास्तुकला और आधुनिक सिविल इंजीनियरिंग की अध्ययन की शुरुआत हुई है, तबसे अधिकतर आधुनिक इमारतें 100 वर्षों से अधिक नहीं टिक सकी हैं। अधिकांश इमारतें सौ वर्षों से पहले ही अपूर्ण हो जाती हैं। ऐसे में हज़ारों वर्षों प्राचीन केदारनाथ मंदिर, छोटी काशी का यह पंचवक्त्र मंदिर जैसे असंख्य मंदिर भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना बनकर खड़े हुए हैं।  

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