एक तरफ जहां कहा जाता हैं कि बच्चे पढ़ेंगे तब ही वे देश का भविष्य बन सकेंगे. वहीं दूसरी ओर देश के हालात यह भी है कि जो बच्चे कल देश का भविष्य बनेंगे वे पूरी तरह जर्जर हो चुके स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं. ऐसी ही स्थिति इन दिनों हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रही हैं. जहां वादे तो बड़े-बड़े किए जा रहे है, लेकिन काम ठीक इसके उलट ही हो रहा हैं. हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए किए गए सारे दावे पूर्णतः खोखले साबित होते हुए नजर आ रहे हैं.
जिन फाइलों में शिक्षा विभाग ने शिक्षा को बेहतर बनाने के दावे किए थे, वे फाइलें भी पूर्णतः जर्जर हो चुकी हैं. हिमाचल के रामपुर में गोपालपुर पंचायत के करतोट स्कूल की हालत काफी खस्ता है. इस स्कूल भवन की पहली मंजिल में दरवाजे और खिड़की पूर्णतः अपना मूल रूप खो चुके हैं. दीवारों में छिद्र हो गए हैं. इस वजह से बच्चों की जान और भविष्य कभी भी खतरे में पड़ सकता हैं.
खिड़की दरवाजे सहित स्कूल भवन की छत भी पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं. दीवारों में गह-जगह छेद हो चुके हैं जिसकी वजह से पानी विद्यालय के अंदर टपकता है. इस विद्यालय में इस समय कुल 38 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बताया जाता हैं कि इस स्कूल का निर्माण 70 के दशक में हुआ था. क्रिकेट क्लब ठाकुर ब्रदर करतोट के सदस्यों ने बताया कि इस स्कूल की बदहाली की ओर किसी का ध्यान नहीं है. वहीं दूसरी ओर युवा सामाजिक कार्यकर्ता विशाल चौहान ने बताया कि प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिख कर इस स्कूल की दशा में सुधारने का आग्रह किया गया है.
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