शिमला: हम ही में हिमाचल सरकार बांड तोड़कर बाहरी राज्यों में सेवाएं दे रहे डॉक्टरों का मामला विजिलेंस को सौंपने की तैयारी में है. नोटिस देने के बाद भी डॉक्टर न तो वापस लौट रहे हैं न ही बांड का पैसा सरकार के खजाने में जमा करा रहे हैं. जंहा महज चार डॉक्टरों ने ही वापस लौटने का प्रोसेस पूछा है, जबकि ढाई दर्जन डॉक्टरों का सरकार को कोई जवाब नहीं आया है. हालांकि, यह डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग की ब्रांच में फोन कर पैसा जमा कराने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने की जानकारी हासिल कर रहे हैं.
सूत्रों कि माने तो इस बात का पता चला है कि अच्छे पैकेज के लिए ये डॉक्टर बांड तोड़कर बाहरी राज्य और विदेशों में सेवाएं दे रहे हैं. सरकार ने स्वास्थ्य महकमे से ऐसे डॉक्टरों का रिकॉर्ड मांग लिया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने 15 चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया है, जबकि पैसा जमा करने को उन्हें रिकवरी नोटिस जारी किए हैं. 34 डॉक्टर ऐसे हैं, जो बाहरी राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं.
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हम आपको बता दें कि इन्होंने हिमाचल से पीजी की और कोर्स पूरा होने के बाद सेवाएं देने बाहरी राज्यों के अस्पतालों में चले गए. डॉक्टरों के पीजी करने पर सरकार 20 से ज्यादा लाखों रुपये खर्च करती है. अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) आरडी धीमान ने कहा कि डॉक्टरों पर कार्रवाई संभव है. बांड तोड़कर बाहर गए डॉक्टरों का रिकार्ड ले लिया गया है.
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