बीजिंग। हर नामुमकिन काम को मुमकिन करने में चीन को महारत हासिल है। अब चीन ने तिब्बत को भारत और नेपाल से जोड़ने वाली इस पार से उस पार जाने वाली हिमालय रेलवे को आर्थिक व तकनीकी रुप से संभव बताया है। दरअसल चीन तिब्बत को आर्थिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाना चाहता है।
साथ ही वो इस क्षेत्र के जरिए अपनी पहुंच दक्षिण एशिया तक बनाना चाहता है। बीजिंग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के उप निदेशक झोंग गैंग ने तिब्बत से जुड़े शोध कार्यक्रम में कहा कि हिमालय क्षेत्र में इस पार से उस पार जाने वाली रेल लाइन का निर्माण अब आर्थिक व तकनीकी रुप से संभव है।
चीन के सरकारी न्यूज पेपर ने भी चीनी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि यह रेल तिब्बत के सिझागे से होते हुए चीनी सीमा पर बने बंदरगाह गिरांग तक जाएगी और वहां से ये नेपाल तक जाएगी। उनका कहना है कि ट्रेन की रफ्तार धीमी रहेगी। ट्रेन ने तिब्बत को चीन से जोड़ने वाली रेलवे का निर्माण 2006 में किया था।
इसके बाद इसमें 250 किलोमीटर का और विस्तार कर इसे तिब्बत प्रांत की राजधानी ल्हासा के साथ जोड़ा गया है। चीन अब नेपाल और यादोंग के लिये भी रेलवे संपर्क मार्ग पर विचार कर रहा है। यह शहर सिक्किम के करीब है। चीन के अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में इसे भारत के साथ जोड़ा जा सकता है।