अपनी रिपोर्ट में सर्वे एजेंसी स्टैटिस्टा ने साल 2018 में कहा था कि इंटरनेट की दुनिया में अंग्रेजी का दबदबा है. अंग्रेजी भाषा में 10 मिलियन वेबसाइट्स हैं और 53 प्रतिशत लोग पूरी दुनिया में इंटरनेट पर अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हैं. इंटरनेट पर पूरी दुनिया में चाइनीज की उपस्थिति सिर्फ 16 फीसदी है जबकि चाइनीज बोलने वालों की संख्या 1.3 बिलियन है लेकिन स्टैटिस्टा का दावा अब गलत साबित होते दिख रहा है. एक बात तो आप भी जानते हैं कि दुनिया की कोई भी भाषा मातृभाषा की जगह नहीं ले सकती है और यही हालत हिन्दी के साथ भी है. यदि आप भी हिन्दी भाषी हैं तो आपको बता दें कि आपकी हिन्दी इंटरनेट पर काफी तेजी से आगे बढ़ रही है.इंटरनेट पर हिन्दी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इंटरनेट पर हिन्दी पढ़ने वालों की संख्या हर साल 94 फीसदी बढ़ रही है.43.63% लोग देश में हिन्दी भाषा बोलते हैं. आइए जानते पूरी जानकारी विस्तार से
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हाल ही सामने आए गूगल-केपीएमजी रिसर्च, सेंसस इंडिया और आईआरएस की सर्वे रिपोर्ट को मानें तो साल 2021 में हिन्दी में इंटरनेट उपयोग करने वाले अंग्रेजी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएंगे. एक अनुमान के मुताबिक 20.1 करोड़ लोग हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे. गूगल के अनुसार हिन्दी में सामग्री पढ़ने वाले हर वर्ष 94% बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में 17% है. अपने बयान में अमेजन इंडिया ने हाल ही में अपना एप हिन्दी में लॉन्च किया है. ओएलएक्स, क्विकर जैसे प्लेटफॉर्म पहले ही हिन्दी में उपलब्ध हैं. स्नैपडील भी हिन्दी में आ चुका है। 2021 तक 8.1 करोड़ लोग डिजिटल पेमेंट के लिए हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे. जबकि 2016 में यह संख्या 2.2 करोड़ थी.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकारी कामकाज के लिए 2016 तक 2.4 करोड़ लोग हिन्दी का इस्तेमाल करते थे जो 2021 में 9.4 करोड़ हो जाएंगे. 2016 में डिजिटल माध्यम में हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी. जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है।हाल ही में राजभाषा विभाग के सचिव ने कहा है कि मंत्रियों और विभागों की ओर से मिलने वाले पत्रों में सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत ही हिन्दी में होते हैं. हालांकि अधिकांश मंत्री दावा करते हैं कि वे 50 से 60 प्रतिशत पत्र-व्यवहार हिन्दी में करते हैं. बता दें कि 2001 में देश में हिन्दी बोलने वालों की संख्या 43.63 फीसदी यानी करीब 42 करोड़ थी, वहीं 2011 में यह संख्या 52 करोड़ हो गई.
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