लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बरेली जिला प्रशासन ने डॉक्टर एम खान अस्पताल पर कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। दरअसल, इस अस्पताल में जीभ का उपचार कराने हेतु लाए गए एक बच्चे का खतना कर दिया गया था। लाइसेंस निलंबित किए जाने के बाद अस्पताल में अन्य मरीजों को उपचार के लिए अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है। राज्य सरकार को भेजने के लिए जिला प्रशासन रिपोर्ट बना रहा है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मामले की जाँच के लिए कमेटी के गठन का ऐलान कर दिया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के आदेश पर स्थानीय प्रशासन अस्पताल के दस्तावेज़ों की जाँच कर रहा है। अब तक की छानबीन में जाँच कमेटी ने हिंदू बच्चे के खतना मामले में अस्पताल को दोषी पाया है। इसी आधार पर अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड हुआ है। 4 सदस्यीय जाँच टीम रिपोर्ट तैयार कर रहीं है। जाँच टीम में अस्पताल प्रबंधन के बयान भी दर्ज कर चुकी है। 24 जून को जाँच टीम ने पीड़ित परिवार के बयान लिए थे। अपने बयान में अस्पताल प्रबंधन ने बताया है कि पीड़ित परिवार ने बच्चे के गुप्तांग का उपचार करने की लिखित सहमति दी थी।
वहीं, रिपोर्ट के अनुसर, पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें अंग्रेजी तो आती नहीं, और उनसे बच्चे के इलाज के नाम पर अंग्रेजी के पर्चे पर हस्ताक्षर लिए गए थे। दस्तखत लेने से पहले डॉक्टरों ने कहा था कि कोई गंभीर बात नहीं है। ऑपरेशन के बाद बच्चे को जब वार्ड में लाया गया तब उन्हें खतना किए जाने का पता चला। पीड़ित परिवार ने अस्पताल पर साजिश के तहत बच्चे का खतना करने का इल्जाम लगाया है। बता दें कि बारादरी थाना क्षेत्र में हरिमोहन यादव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि डॉक्टर जावेद ने उनके बच्चे की जीभ का उपचार करने के बहाने खतना कर दिया। हरिमोहन का कहना है कि, उनका तीन वर्षीय बच्चा ठीक से बोल नहीं पाता था, जिसके लिए वे जीभ का इलाज कराने अस्पताल गए थे ।
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