कर्नाटक में दो कांग्रेस नेताओं को लेकर आमने-सामने आए हिन्दू समुदाय, सिद्धरमैया और शिवकुमार में सत्ता संघर्ष
कर्नाटक में दो कांग्रेस नेताओं को लेकर आमने-सामने आए हिन्दू समुदाय, सिद्धरमैया और शिवकुमार में सत्ता संघर्ष
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बैंगलोर: कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में एक वोक्कालिगा संत द्वारा सिद्धारमैया के स्थान पर डी के शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर राजनीति गरमा गई है। राज्य में कांग्रेस नेताओं को लेकर हिन्दुओं में दो फाड़ हो गई है, एक पक्ष सिद्धारमैया का समर्थन कर रहा है, तो दूसरा डी के शिवकुमार का। अब राज्य में अहिंदा (पिछड़ा वर्ग) कार्यकर्ताओं ने सिद्धारमैया के प्रति अपना समर्थन घोषित किया है और कहा है कि यदि ऐसा कोई कदम उठाया गया तो वे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

दरअसल, सिद्धारमैया अहिंदा आंदोलन का चेहरा और रणनीतिकार हैं, जो अल्पसंख्यातरु (अल्पसंख्यक), हिंदुलिदावरु (पिछड़ा वर्ग) और दलितरु (दलित) के लिए शुरू हुआ है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अहिंदा के कर्नाटक अध्यक्ष प्रभुलिंगा डोड्डामणि ने ऐलान किया है कि, "हम हमेशा सीएम सिद्धारमैया के साथ उनकी रीढ़ की हड्डी की तरह खड़े रहेंगे।" डोड्डामणि ने आगे कहा कि, "इस तरह का बयान देने से धार्मिक आघात पहुंचेगा। संत को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। स्वामीजी सभी के लिए हैं, किसी एक खास समुदाय तक सीमित नहीं हैं। अगर वे हमारे प्रिय सिद्धारमैया को सत्ता से हटाने की कोशिश करेंगे, तो हम चेतावनी देते हैं कि कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व ही नहीं रहेगा।"

उल्लेखनीय है कि, अहिंदा ने राज्य में कांग्रेस को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डोड्डामनी ने कहा, "अहिंदा संगठन की ओर से हम चाहते हैं कि हमारे सर (सिद्धारमैया) अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करें। अगर बदलाव को लेकर कोई बहस होती है, तो हम हर जिले और तालुका में इसका विरोध करेंगे और उनके साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।" वहीं, डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं, जो कर्नाटक की कुल आबादी का 15 प्रतिशत है। सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आने वाले OBC नेता हैं, जिन्होंने पिछड़े वर्ग को अच्छे से साध रखा है। अब इन्ही दो कांग्रेस नेताओं के पीछे हिन्दू समुदाय में फूट पड़ गई है और वो आपस में ही उलझ गए हैं। 

बताया जा रहा है कि, सिद्धारमैया की मांग ने ही पर कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संघर्ष को बढ़ावा दिया है। सिद्धारमैया ने कहा कि उनके प्रदर्शन का आकलन करना और नेतृत्व परिवर्तन पर फैसला करना पार्टी हाईकमान पर निर्भर है, जबकि शिवकुमार ने भी ऐसी चर्चाओं को खारिज करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से ऐसी मांगों से दूर रहने को कहा है। सिद्धारमैया ने कहा कि, मैं वही करूंगा जो पार्टी हाईकमान कहेगा। भाजपा भी इस चर्चा में शामिल हो गई और आरोप लगाया कि, कांग्रेस पार्टी में सत्ता संघर्ष चल रहा है। वहां कोई शासन नहीं है।

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