इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हिंदू विवाह कानून को स्वीकृति मिल गई है। हालांकि सिंध प्रांत में हिंदू विवाह कानून को पहले ही लागू किया जा चुका है। मगर अन्य राज्यों के लिए इसे पाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों में पेश करने के बाद पारित कर राष्ट्रपति ममनून हुसैन के पास भेजा गया था। राष्ट्रपति ने इस पर अपनी स्वीकृति दे दी। अब यह विधेयक कानून बन गया है। यहां विवाह के लिए कम से कम 18 वर्ष की आयु होना चाहिए।
जबकि भारत में यह आयु सीमा 2 वर्ष है। दरअसल अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को विवाह के बाद कानूनी मान्यता मिलने की उम्मीद की जा रही है। दरअसल संसद में पारित होने के बाद विधेयक तब कानून का रूप ले सकता है जब दोनों सदनों से समान प्रति को पारित कर दिया जाए। दोनों ही सदनों से विधेयक के अंतिम रूप को स्वीकृति मिल जाने के बाद इसे राष्ट्रपति की ओर भेज दिया गया।
गौरतलब है कि कानून बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा में लागू किया जाएगा। हिंदूओं को शादीपरत दिया जाएगा। जो कि विवाह का प्रमाणपत्र होगा यह उसी तरह होगा जैसे मुस्लिमों के निकाहनामे में विवरण दिया जाता है। विधवाओं को पंजीकरण का फायदा मिलेगा। विधवाओं को 6 माह बाद विवाह करने का अधिकार मिलेगा। यदि हिंदू दंपति तलाक लेना चाहते हैं तो वे तलाक ले सकेंगे।
RSS ने की केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी व सर्जिकल स्ट्राईक की सराहना
पाकिस्तान में गायब हुए भारतीय मौलवी आज लौटेंगे भारत
अविवाहित मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में शामिल हुआ योगी आदित्यनाथ का नाम
IndVsAus : भारत ने की जीत की तैयारी, ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट गिरे