हिन्दू अल्पसंख्यक: वकील अश्विनी उपाध्याय के प्रयासों का फैसला 14 जून को

हिन्दू अल्पसंख्यक: वकील अश्विनी उपाध्याय के प्रयासों का फैसला 14 जून को
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हिंदुस्तान में हिन्दू अपने हक़ के लिए तरस रहे है. हालत यह है कि देश के आठ राज्यों में अल्पसंख्यक होने के बावज़ूद हिन्दू अपने अधिकारों के लिए लगातार लड़ रहे है. मगर अभी तक उनको कोई कामयाबी नहीं मिली है. 2011 में हुई जनगणना के हिसाब से देश के आठ राज्यों में हिन्दू अल्पसख्यक है और इस बार 14 जून को इसे लेकर बड़ी बैठक होना है, जिसमे मुख़्तार अब्बास नकवी और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय जिन्होंने ये याचिका दायर की है कि 25 पेज कि रिपोर्ट को एक्सामिन करने के बाद मामले पर अपना रुख साफ करेगा.

अश्विनी के अनुसार सभी तरह के क़ानूनी पहलु पर विचार किया जा रहा है, मामले पर जहा बीजेपी के नेता और पत्रकार प्रेम शुक्ल, वकील ईशकरण सिंह भंडारी, अश्विनी उपाध्याय हिन्दुओ के हक़ कि बात कर रहे है, वही मुस्लिम नेता और सीपीआई के आमिर हैदर जैदी, ऑल इंडिया इमाम असोशिएशन के अध्यक्ष मौलाना शाजिद रसीदी खुद को अल्पसंख्यको  में रख कर मुद्दे से भटकाते हुए हिन्दू के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है. साथ ही कह रहे है कि बीजेपी जब हमारा वोट डालने तक का अधिकार भी नहीं रहने देना चाहती तो ऐसी सरकार हमें क्या सुरक्षा देगी.

वही एक और मुस्लिम नेता आमिर हैदर जैदी तो सीधे सीधे हिन्दू हक़ की बात पर मुद्दे को कई और ही घुमा रहे है. हक़ के नाम पर और अल्पसंख्यक कानून के दायरे में उन्हें सिर्फ एक ही कौम नज़र आ रही है. बहरहाल सारे सवालों के जवाब 14 जून को आ सकते है. 

 

तो क्या हिन्दू अल्पसंख्यक नहीं हो सकते?

आठ राज्यों में हिंदुस्तानी होने की सजा काटता हिन्दू अल्पसंख्यक

 

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